दांतों में लगे बैक्टेरिया से फाइट कर दर्द दूर करेगा IISc का नैनोबॉट्स, जानें कैसे करेगा काम

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु (Indian Institute of Science, Bengaluru) के वैज्ञानिकों ने ऐसा नैनोबॉट्स (nanobots) बनाया है जो दांतों के अंदर घुसकर बैक्टेरिया मारेगा। इसकी मदद से बेहद सरलता से दांत की बीमारी का इलाज किया जा सकता है।

Asianet News Hindi | Published : May 16, 2022 11:27 AM IST / Updated: May 16 2022, 05:08 PM IST

नई दिल्ली। दांतों में दर्द की परेशानी होने पर मरीजों का जीना दूभर हो जाता है। कई बार तो दांत निकलवाने की नौबत तक आ जाती है। दांतों की समस्या का मुख्य कारण बैक्टेरिया का इन्फेक्शन होता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु (Indian Institute of Science, Bengaluru) ने खास नैनोबॉट्स बनाए हैं। 

बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं ने छोटे नैनोबॉट विकसित किए हैं, जिन्हें बैक्टीरिया को मारने और बेहतर रूट कैनाल ट्रीटमेंट (RCT) के लिए दांतों में इंजेक्ट किया जा सकता है। इसकी मदद से दांत की नलिकाओं के अंदर कीटाणुओं को मारा जा सकता है। यह बेहद सरलता से दांत की बीमारी का इलाज कर सकता है। दांतों के संक्रमण का इलाज करने के लिए आरसीटी एक सामान्य तकनीक है, जिसमें दांत के अंदर संक्रमित नरम ऊतक (जिसे पल्प कहा जाता है) को हटाना और संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारने के लिए एंटीबायोटिक या रसायनों के साथ दांत को फ्लश करना शामिल है।

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ऐसे कंट्रोल होता है नैनोबॉट्स
आईआईएससी के शोधकर्ताओं ने हेलीकल नैनोबॉट्स बनाया है। इस नैनोबॉट्स को सिलिकॉन डाइऑक्साइड कोटेड लोहे से बनाया गया है। इसे कम तीव्रता वाले चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने वाले डिवाइस का उपयोग करके नियंत्रित किया जा सकता है। यह अध्ययन एडवांस्ड हेल्थकेयर मैटेरियल्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। आईआईएससी के सेंटर फॉर नैनो साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीईएनएसई) के रिसर्च एसोसिएट शनमुख श्रीनिवास ने कहा कि दंत नलिकाएं बहुत छोटी होती हैं। बैक्टीरिया ऊतक में रहते हैं। वर्तमान तकनीक अंदर तक जाने और बैक्टीरिया को मारने के लिए पर्याप्त कुशल नहीं है।

दांतों की नलिकाओं में घुसकर करेगा बैक्टीरिया का सफाया
आईआईएससी-इनक्यूबेटेड स्टार्टअप थेरानॉटिलस में विकसित नैनोबॉट्स को निकाले गए दांतों के नमूनों में इंजेक्ट किया गया था और माइक्रोस्कोप का उपयोग करके उनके मूवमेंट को ट्रैक किया गया था। आईआईएससी ने कहा कि चुंबकीय क्षेत्र की आवृत्ति को बदलकर शोधकर्ता नैनोबॉट्स को अपनी इच्छानुसार जगह भेजने में सक्षम थे। नैनोबॉट्स दांतों की नलिकाओं के अंदर गहराई तक घुस गए। उन्होंने चुंबकीय क्षेत्र में हेरफेर से नैनोबॉट्स की सतह से गर्मी पैदा की, जो आस-पास के बैक्टीरिया को मार सकता है।

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मरीज के दांतों से वापस खींचे जा सकते हैं नैनोबॉट्स
श्रीनिवास ने कहा कि हमने यह भी स्थापित किया है कि हम नैनोबॉट्स को पुनः प्राप्त कर सकते हैं। हम उन्हें मरीज के दांतों से वापस खींच सकते हैं। टीम ने चूहों के मॉडल में नैनोबॉट्स का परीक्षण किया और उन्हें सुरक्षित और प्रभावी पाया। वे एक नए प्रकार के चिकित्सा उपकरण को विकसित करने पर भी काम कर रहे हैं जो आसानी से मुंह के अंदर फिट हो सकता है और दंत चिकित्सक को रूट कैनाल उपचार के दौरान दांतों के अंदर नैनोबॉट्स को इंजेक्ट करने और कंट्रोल करने की अनुमति देगा। सीईएनएसई में रिसर्च एसोसिएट और थेरानॉटिलस के सह-संस्थापक देबयान दासगुप्ता ने कहा  कि बाजार में कोई अन्य तकनीक अभी ऐसा नहीं कर सकती है।

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