TMC नेता सुष्मिता देव का Rajya Sabha में निर्विरोध जाना तय, BJP को नहीं मिला जिताऊ कैंडिडेट

पश्चिम बंगाल की एक राज्यसभा सीट सहित पूरे देश में छह राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। 4 अक्टूबर को चुनाव होंगे। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 20, 2021 1:04 PM IST / Updated: Sep 20 2021, 06:43 PM IST

कोलकाता। असम व त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस के विस्तार का जिम्मा संभालने वाली सुष्मिता देव के राज्यसभा में निर्विरोध पहुंचने का रास्ता साफ हो गया है। सोमवार को सुष्मिता देव ने राज्यसभा उप चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। उधर, बीजेपी ने बंगाल से राज्यसभा के लिए कोई उम्मीदवार नहीं घोषित किया है। दरअसल, बीजेपी के पास बंगाल से किसी को राज्यसभा में भेजने लायक वोट नहीं है। 

कैंडीडेट न घोषित करने पर बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने ट्वीट किया है कि हम अपना ध्यान ममता बनर्जी को उपचुनाव में हराने में लगाना चाहते हैं। राज्यसभा का चुनाव पूर्व निर्धारित है।

सुवेंदु अधिकारी का ट्वीट 
'भाजपा पश्चिम बंगाल में होने वाले राज्यसभा उपचुनाव के लिए किसी उम्मीदवार को नामित नहीं करेगी। परिणाम पूर्व निर्धारित है। हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करना है कि अनिर्वाचित मुख्यमंत्री एक बार फिर से अनिर्वाचित हो जाएं। जय माँ काली।'

 

देशभर में छह राज्यसभा सीटों पर हो रहा चुनाव

पश्चिम बंगाल की एक राज्यसभा सीट सहित पूरे देश में छह राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। 4 अक्टूबर को चुनाव होंगे। 

16 अगस्त को थामा था टीएमसी का दामन

कांग्रेस की महिला विंग की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव ने बीते 16 अगस्त को टीएमसी का दामन थामा था। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और राज्यसभा में संसदीय दल के नेता डेरेक-ओ-ब्रायन की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी ज्वाइन किया। 

कौन हैं सुष्मिता देव? 

सुष्मिता देव कांग्रेस की कद्दावर नेता रही हैं और लोकसभा सदस्य भी रह चुकी हैं। वह राजीव गांधी के कैबिनेट में मंत्री रहे संतोष मोहन देव की सुपुत्री हैं। संतोष मोहन देव कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार रहे हैं। उनकी असम में काफी पकड़ मानी जाती रही है।

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असम के सिल्चर से रहीं हैं सांसद

सुष्मिता देव असम के सिलचर से लोकसभा सदस्य रही हैं। बीते दिनों हुए असम-मिजोरम सीमा विवाद के दौरान भी उन्होंने केंद्र सरकार को खूब घेरा था। वह लगातार इस मामले को लेकर बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा करती रही हैं। इनके टीएमसी में आने से असम में पार्टी को एक नया आधार मिलने की उम्मीद है। दरअसल, टीएमसी का पश्चिम बंगाल के बाहर भी विस्तार हो रहा है।

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