सर्दियों का मौसम आते ही कई लोगों के मन में घूमने का विचार आने लगता है। सर्दियों में पहाड़ों की खूबसूरती देखते ही बनती है। पहाड़ बर्फ से ढके होते हैं। कुछ लोग दूर से बर्फ को निहारते हैं, तो कुछ लोग इन पहाड़ों पर एडवेंचर करते हैं। पहाड़ों पर ट्रेकिंग का अपना ही मज़ा है। बर्फीले रास्तों पर ट्रेकिंग करना सबसे मुश्किल काम होता है, लेकिन कुछ लोग इसे एक चुनौती के रूप में लेते हैं। सर्दियों में बर्फ से ढके पहाड़ों पर ट्रेकिंग करने के शौकीन बहुत से लोग होते हैं। भारत में ऐसे कई प्रसिद्ध ट्रेकिंग डेस्टिनेशन हैं। आइए हिमालय के कुछ खूबसूरत ट्रेकिंग स्पॉट्स के बारे में जानें।
उत्तराखंड में एक और बेहतरीन ट्रेकिंग डेस्टिनेशन है कुआरी पास। एडवेंचर पसंद करने वालों को यह जगह बहुत पसंद आएगी। कुआरी पास ट्रेक समुद्र तल से 12,516 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कुआरी पास उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित है। कुआरी पास से नंदा देवी और द्रोणगिरी चोटियों के दर्शन होते हैं। कुआरी पास ट्रेक लगभग 31 किलोमीटर लंबा है। इस ट्रेक को पूरा करने में 6 दिन लगते हैं। दयारा बुग्याल से कुआरी पास तक का ट्रेक थोड़ा मुश्किल है। सर्दियों में यहां ट्रेकिंग करना बेहद खूबसूरत होता है, लेकिन थोड़ा मुश्किल भी।
कुआरी पास ट्रेक की शुरुआत उत्तराखंड के कर्ची गांव से होती है। कर्ची पहुंचने के लिए आपको पहले जोशीमठ जाना होगा। ऋषिकेश से जोशीमठ के लिए सीधी बसें चलती हैं। जोशीमठ से कर्ची गांव 16 किलोमीटर दूर है। कर्ची में रात भर आराम करने के बाद, अगले दिन कुआरी पास ट्रेकिंग के लिए निकलें।
सर्दियों में ट्रेकिंग के लिए एक और प्रसिद्ध नाम है दयारा बुग्याल ट्रेक। दयारा बुग्याल उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत ट्रेक्स में से एक है। गर्मियों में यहां आपको हरे-भरे बुग्याल देखने को मिलेंगे। सर्दियों में, दयारा बुग्याल चारों ओर बर्फ से ढका होता है। दयारा बुग्याल समुद्र तल से 3,639 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बुग्याल क्षेत्र लगभग 21 किमी लंबा ट्रेक है। अनुभवी और शुरुआती दोनों ही यहां ट्रेकिंग कर सकते हैं। इस ट्रेक को पूरा करने में लगभग दो से तीन दिन लगते हैं। इस सर्दी में आप दयारा बुग्याल घूमने का प्लान बना सकते हैं।
दयारा बुग्याल ट्रेक की शुरुआत रायथल गांव से होती है। आपको पहले देहरादून या ऋषिकेश पहुंचना होगा। ऋषिकेश से उत्तरकाशी के लिए बसें मिलती हैं। उत्तरकाशी से रायथल 40 किलोमीटर दूर है। उत्तरकाशी से रायथल के लिए शेयर्ड टैक्सी उपलब्ध हैं।
चोपता-चंद्रशिला भी भारत के विंटर ट्रेकिंग डेस्टिनेशन में शामिल है। चंद्रशिला ट्रेक समुद्र तल से 3,690 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सर्दियों में यहां का रास्ता पूरी तरह बर्फ से ढका रहता है। इस समय यात्रा और भी मुश्किल हो जाती है। चंद्रशिला ट्रेक के रास्ते में तुंगनाथ मंदिर भी है। तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के पंच केदारों में से एक है। तुंगनाथ से चंद्रशिला एक किमी दूर है। चंद्रशिला से हिमालय के मनमोहक दृश्य दिखाई देते हैं।
चंद्रशिला ट्रेक करने के लिए आपको चोपता पहुंचना होगा। ऋषिकेश से उखीमठ के लिए बसें चलती हैं। सर्दियों में, बाबा केदार उखीमठ में ही ठहरने की सुविधा उपलब्ध है। उखीमठ से चोपता के लिए टैक्सी चलती हैं। तुंगनाथ और चंद्रशिला के लिए ट्रेकिंग उखीमठ से शुरू होती है।
यह विंटर ट्रेकिंग डेस्टिनेशन भी उत्तराखंड में है। ब्रह्मताल ट्रेक उन लोगों के लिए है जिन्होंने पहले कभी विंटर ट्रेकिंग नहीं की है। यह ट्रेक शुरुआती लोगों के लिए उपयुक्त है। ब्रह्मताल ट्रेक लगभग 30 किलोमीटर लंबा है। इस ट्रेक को पूरा करने में तीन दिन लगते हैं। ब्रह्मताल की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3,734 मीटर है। ब्रह्मताल से नंदा घुंटी, त्रिशूल, चौखम्भा जैसी चोटियों के शानदार नज़ारे दिखाई देते हैं। इस जगह की खूबसूरती शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। यहां जाकर ही इस जगह की खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता है।
ब्रह्मताल ट्रेक की शुरुआत लोहाजंग से होती है। लोहाजंग उत्तराखंड का एक छोटा सा शहर है। यहां पहुंचने के लिए आपको पहले ऋषिकेश से चमोली बस से जाना होगा। चमोली से लोहाजंग 40 किलोमीटर दूर है। चमोली से लोहाजंग के लिए आसानी से टैक्सी मिल जाती है।
चादर ट्रेक भारत के सबसे मुश्किल ट्रेक्स में से एक है। ज़ंस्कार नदी लद्दाख में है। सर्दियों में, जब यह नदी जम जाती है, तो लोग इस पर चलते हैं और ट्रेकिंग करते हैं। चादर ट्रेक लगभग 75 किलोमीटर लंबा है। केवल अनुभवी ट्रेकर ही चादर ट्रेक पर जाते हैं। चादर समुद्र तल से 11,123 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। चादर ट्रेक ट्रेकर्स की फिटनेस की परीक्षा लेता है। कई लोग इस ट्रेक को बीच में ही छोड़ देते हैं। चादर ट्रेक एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।
चादर ट्रेक लद्दाख में है, इसलिए आपको पहले लेह पहुंचना होगा। सर्दियों में लेह पहुंचने का एक ही रास्ता है, और वह है हवाई मार्ग। आप हवाई जहाज से लेह पहुंच सकते हैं। इसके बाद लेह से चिलिंग जाएं। यह लेह से 65 किमी दूर है। यहां से आपको बस मिल जाएगी। आप टैक्सी बुक करके भी चिलिंग पहुंच सकते हैं। चादर ट्रेक की शुरुआत चिलिंग से होती है।