नए साल के पहले ही दिन ट्रकों और रोडवेज बसों के पहिए खड़े हो गए हैं और ट्रक चालक जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। इसके पीछे का कारण भारत का वह नया कानून है, जिसमें दुर्घटना आरोपी की सजा-जुर्माना बढ़ा दिया गया है।
Truckers Protest. अंग्रेजों के जमाने के जिन कानूनों में बदलाव किया गया है। उसमें यह भी नया प्रावधान जोड़ा गया है कि दुर्घटना के आरोपियों की जेल की सजा और जुर्माना बढ़ा दिया गया है। अब एक्सिडेंट करने वाले ट्रक ड्राइवर्स को 10 साल तक की सजा हो सकती है। इससे पहले सिर्फ 2 साल तक की जेल का ही प्रावधान था। यही वजह है कि नए साल के पहले ही दिन ट्रकों और रोडवेज बसों के पहिए खड़े हो गए हैं और ट्रक चालक जबरदस्त विरोध कर रहे है।
प्राइवेट-रोडवेज बसों की भी हड़ताल
यूपी में रोडवेज बसों की प्रदेशव्यापी हड़ताल सोमवार से शुरू हो गई और सभी जगहों रोडवेज बसों का संचालन बंद हो गया। साल के पहले दिन ही ऐसा होने की वजह से आम यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं हरियाणा के जिंद में प्राइवेट बस संचालकों ने भी हड़ताल कर दी है। बस और ट्रक संचालकों का कहना है कि यह नया कानून ड्राइवरों को यह जॉब करने से रोकने वाला है क्योंकि सजा का प्रावधान 10 साल तक की जेल कर दिया गया है।
ट्रांसपोर्टर्स का क्या है कहना
ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि कोई भी बस या ट्रक ड्राइवर जान बूझकर एक्सिडेंट नहीं करता है। ड्राइवर मौके से इसलिए भागते हैं क्योंकि खतरा रहता है कि भीड़ उन्हें मार डालेगी। यही वजह से है कि दुर्घटना के बाद वे घायलों को हॉस्पिटल भी नहीं पहुंचा पाते हैं। ट्रक एसोसिएशन का कहना है कि सरकार को इस काले कानून को हर हाल में वापस लेना चाहिए। ट्रकर्स का कहना है कि कोहरे की वजह से एक्सिडेंट हो जाता है तो भी ड्राइवर को 10 साल की सजा हो जाएगी।
हड़ताल की वजह से बढ़ी परेशानी
इंडियन पीनल कोड को अब भारतीय न्याय संहिता बना दिया गया है कई धाराओं में संशोधन किए गए हैं। इसी वजह से यह हड़ताल हो रही है। इससे शहरी और ग्रामीण इलाकों में आम लोगों की परेशानी बढ़ गई। यूपी में रोडवेज बस अड्डों पर लोगों की भीड़ लगी रही लेकिन कोई बस चलने को तैयार नहीं हुई।
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