पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खतरे बढ़े हैं। दुनिया भर में काफी बडे़ पैमाने पर नुकसान की मुख्य वजह प्राकृतिक खतरे हैं जिसको स्वीकार कर हमें जलवायु परिवर्तन की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाना होगा।
COP27:संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में सोमवार को पर्यावरण चितांओं को लेकर विश्व के तमाम देशों ने अपनी चिंता और सुझावों को साझा किया। भारत की ओर से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और पर्यावरण को सबके अनुकूल बनाए रखने के लिए किए जा रहे उपाय अभी भी काफी अपर्याप्त हैं। वैश्विक स्तर पर जलवायु वित्त भी अपर्याप्त है। पर्यावरण व जलवायु को लेकर पूर्व की चेतावनियों को ध्यान देने की विशेष आवश्यकता है। जीवन व आजीविका को प्राकृतिक खतरों से बचाने के लिए यह चेतावनी महत्वपूर्ण हैं।
बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खतरों को स्वीकार कर काम करने की आवश्यकता
मिस्र में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (UN Climate Conference) में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खतरे बढ़े हैं। दुनिया भर में काफी बडे़ पैमाने पर नुकसान की मुख्य वजह प्राकृतिक खतरे हैं जिसको स्वीकार कर हमें जलवायु परिवर्तन की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाना होगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव का जलवायु परिवर्तन को लेकर तय किया गया पूर्व चेतावनी प्रणाली वाला एजेंडा काफी हद तक बेहतर है। भारत, सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की दिशा में यूएन सेक्रेटरी जनरल के एजेंडे का समर्थन करता है।
भारत ने चेतावनी प्रणाली पर खूब काम किया
COP27 में भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी देते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा कि हमने अपने देश में जल-मौसम संबंधी सभी खतरों के लिए शुरू से अंत तक पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में काम किया है। आगे भी जारी है। उन्होंने दुनिया को बताया कि इस पूर्व चेतावनी प्रणाली पर काम करने का असर यह है कि भारत में पिछले 15 वर्षों में देश में चक्रवातों के कारण होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत तक की कमी आई है। उन्होंने कहा कि भारत आने वाले दिनों में लू व भीषण गर्मी जैसे अन्य खतरों के लिए भी काफी उन्नत पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित कर लेगा। देश ने पिछले कुछ वर्षों में समुदायों द्वारा प्रारंभिक चेतावनियों को प्रभाव आधारित, आसानी से समझने योग्य और कार्रवाई योग्य बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए हैं।
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