डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को खड़ा कर भारत ने दुनिया को राह दिखाई, डीपीआई टेक्नोलॉजी में हम दुनिया का कर रहे नेतृत्व: राजीव चंद्रशेखर

आईटी राज्यमंत्री सोमवार को पुणे में ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हम डीपीआई और डीपीआई के भविष्य के बारे में बात कर रहे हैं।

 

पुणे: केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि दुनिया में भारत ने डीपीआई की एक मिसाल पेश की है। पीएम मोदी की अगुवाई में भारत सरकार ने प्रौद्योगिकी का उपयोग करके देश के नागरिकों के जीवन में बदलाव लाने के संबंध में दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। दुनिया हमारी इस पहल को देखकर अपना रही है।

आईटी राज्यमंत्री सोमवार को पुणे में ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज हम डीपीआई और डीपीआई के भविष्य के बारे में बात कर रहे हैं। इसके लिए भारत एक केस स्टडी है जिसने डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की प्रभावकारिता और दक्षता को प्रमाणित कर दुनिया को रास्ता दिखाया है।

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2014 से पहले सरकारी योजनाओं के भ्रष्टाचार की कमर तोड़ दी

राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि 2014 से पहले देश में एक धारणा बन गई थी कि सरकारी योजनाओं की राशि के तौर पर केंद्र से जब 100 रुपये निकलते हैं तो लाभार्थियों तक सिर्फ 15 रुपये ही पहुंचते हैं और 85 रुपये बिचैलिये मार ले जाते हैं या लीकेज हो जाता है। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके इस लीकेज को बंद करके उस धारणा को बदल दिया। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में सरकार से भारत के नागरिकों को 400 अरब डॉलर से अधिक का हस्तांतरण बिना किसी लीकेज किया है। राज्यमंत्री ने कहा कि यही डीपीआई की शक्ति है, जिससे भारत ने आज दुनिया को अवगत कराया है और भारत द्वारा तैयार डीपीआई को आज दुनिया के देश अपनाने लगे हैं।

डीपीआई फ्रेमवर्क भारत और विश्व के लिए डिजिटल गवर्नेंस का भविष्य

आईटी राज्यमंत्री ने कहा कि डीपीआई फ्रेमवर्क भारत और विश्व के लिए डिजिटल गवर्नेंस का भविष्य है। यह समावेशन से संबंधित है। यह पारदर्शिता से संबंधित है और यह जवाबदेही से संबंधित है। उन्होंने बताया कि जी-20 की अध्यक्षता करते हुए भारत ने डीपीआई को लेकर अपना दृष्टिकोण दुनिया के सामने रखा और सबने इसको सराहा। यहां तक कि एससीओ की मंत्रिस्तरीय डिजिटल मीटिंग और क्वाड नेताओं की बैठक एवं भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद की बैठकों में इसे समर्थन मिला है।

डीपीआई ऐसा मॉडल नहीं है जो सभी के लिए उपयुक्त हो, यह वास्तव में खुले स्रोत की शक्ति का उपयोग करने, साझेदारी की शक्ति का उपयोग करने और नवाचारी डीपीआई प्लेटफॉर्म बनाने वाले देश को सहयोग करने की बात करता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डीपीआई को लेकर हम जिस साझेदारी की पेशकश कर रहे हैं, वह वास्तव में दुनियाभर के उन सभी देशों के लिए लाभकारी है जो डिजिटलीकरण के दौर में पिछड़े हुए हैं। ग्लोबल डीपीआई ढांचे की दिशा में यह कदम वास्तव में इस तथ्य को उजागर कर रहा है कि प्रौद्योगिकी समावेशी हो सकती है और होनी भी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को उन लोगों को भी सशक्त बनाना चाहिए दुनिया के विकसित और उन्नत राष्ट्र नहीं हैं।

डिजिटल अर्थव्यवस्था भारत के लिए एक अवसर

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में इस सरकार ने पूरे देश में बार-बार प्रदर्शित करके दिखा दिया है कि प्रगति और विकास चाहने वालों के लिए डीपीआई गुणक-प्रभाव वाली शक्ति है।

उन्होंने कहा कि हमने वन-फ्यूचर अलायंस की एक अवधारणा शुरू की है। यह एक स्वैच्छिक पहल है जिसका उद्देश्य सभी देशों और सभी लोगों द्वारा उपयोग किए जा सकने वाले डीपीआई के भविष्य को आकार देने, डिजाइन करने के लिए सभी देशों को एवं सभी हितधारकों को एक साथ लाना है।

आईटी राज्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था भारत के लिए एक प्रबल अवसर है और डीपीआई उस प्रबल अवसर के प्रवर्तक हैं। इंडिया स्टैक और वैश्विक डीपीआई शिखर सम्मेलन के संबंध में चर्चा वसुधैव कुटुम्बकम के विजन के साथ भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता का परिचायक है जहां हम प्रौद्योगिकियों और डीपीआई का उपयोग करके अपने सामूहिक भविष्य की बेहतरी के लिए एक परिवार के रूप में काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि आने वाले दशक को इंडिया टेकेड नाम दिया गया है क्योंकि यह प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अवसरों का दशक होगा और इस प्रकार की साझेदारी से निश्चित रूप से सभी देशों को डिजिटल क्षेत्र में उभरते हुए अवसरों का लाभ मिलेगा।

15 देशों के प्रतिनिधियों ने लिया भाग

शिखर सम्मेलन में पहुंचे करीब 15 देशों के प्रतिनिधि पहुंचे थे। भारत के साथ डीपीआई को लेकर साझेदारी के लिए तीन देशों ने इस अवसर पर एमओयू पर हस्ताक्षर किए जिनमें अरमेनिया, सूरीनाम और सिएरा लियोन शामिल हैं।

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