केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर बोले-भारत में किसी को भी डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा से खिलवाड़ की छूट नहीं मिल सकती

राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीटर पर वाशिंगटन पोस्ट के आर्टिकल को शेयर करते हुए आलोचना की है।

Union Minister Rajeev Chandrasekhar slams Washington Post article: केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने वाशिंगटन पोस्ट के उस लेख की आलोचना की है जिसमें भारत के ट्वीटर पर काबू करने और ऑनलाइन सेंसरशिप का आरोप लगाया गया है। केंद्रीय मंत्री ने वाशिंगटन पोस्ट के लेख और उस आर्टिकल को लिखने वाले रिपोर्टर के जानकारी पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि तकनीक को कवर करने वाले कुछ पत्रकार पढ़ने लिखने में या तो आलसी है या अक्षम इसलिए तथ्यों को गलत तरीके से पेश करते हैं।

क्या राजीव चंद्रशेखर ने वाशिंगटन पोस्ट के आर्टिकल पर?

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राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीटर पर वाशिंगटन पोस्ट के आर्टिकल को शेयर करते हुए आलोचना की है। उन्होंने लिखा: मैं हमेशा कुछ ऐसे पत्रकारों से चकित हो जाता हूं जो तकनीक को कवर करने का दावा करते हैं लेकिन पढ़ने और सीखने में बहुत आलसी होते हैं या अक्षम होते हैं या पूर्व-निर्धारित परिणाम या तीनों के संयोजन पर काम करते हुए बातचीत के तथ्यों को गलत तरीके से पेश करते हैं। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन पोस्ट का लेख जिसका शीर्षक है "कैसे भारत ने ट्विटर पर काबू पाया और ऑनलाइन सेंसरशिप के लिए एक वैश्विक मानक स्थापित किया" इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस लेख में सेंसरशिप को संवेदनहीन सनसनीखेज स्टोरी बनाने के लिए गलत तथ्यों को पेश किया गया है। गुमनाम स्रोतों और चर्चा पर आधारित कहानी लिखा गया है।

 

 

डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा से उनको परेशानी

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कुछ पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को भारत की उस व्यवस्था से परेशानी है जिसमें डिजिटल नागरिकों को सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्हें इंटरनेट का उपयोग करने वाले डिजिटलनागरिकों की सुरक्षा के लिए एक स्पष्ट ढांचा बनाने में भारत द्वारा स्थापित खुलेपन, सुरक्षा और विश्वास और जवाबदेही के सिद्धांतों को समझने में कठिनाई हो रही है। उन्होंने शोध या अध्ययन नहीं किया क्योंकि आईटी नियम और कानून स्पष्ट हैं कि कोई भी मध्यस्थ/मंच किसी भी भारतीय नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि वे स्पष्ट रूप से अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि भारत में अनुच्छेद 19(2) के तहत स्वतंत्र भाषण पर संवैधानिक रूप से उचित प्रतिबंध हैं। वे मध्यस्थों के लिए धारा 69 और आईटी नियम 3(1)(बी) के तहत अच्छी तरह से परिभाषित दायित्वों का पालन करने और उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से समझ में नहीं आए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर अवैध सट्टेबाजी आदि 19(2) के तहत प्रतिबंधित है।

भारत किसी को भी खुली छूट नहीं देता

उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र न्यायपालिका वाले संवैधानिक लोकतंत्र के रूप में कोई भी व्यक्ति या निगम (यहां तक कि अमेरिकी बड़ी तकनीक भी) देश के कानून से ऊपर नहीं है। जब कानून का पालन करने की बात आती है तो भारत में किसी भी कंपनी को खुली छूट नहीं दी जाती है या दी जाएगी। जो लोग सरकार या किसी निकाय की किसी कार्रवाई से पीड़ित हैं, उन्हें अदालतों में अपील करने का अधिकार है।

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