बेंगलुरू की झीलों को मिलेगा नया जीवन, 'अमृत सरोवर' के तहत विकसित करने के लिए राजीव चंद्रशेखर ने की पहल

Published : Apr 12, 2022, 10:31 PM IST
बेंगलुरू की झीलों को मिलेगा नया जीवन, 'अमृत सरोवर' के तहत विकसित करने के लिए राजीव चंद्रशेखर ने की पहल

सार

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बेंगलुरु शहर में कई झीलों की सुरक्षा के लिए कई झील समूहों, स्थानीय समुदाय और झील और कानूनी विशेषज्ञों के साथ वर्षों से अथक प्रयास किया है।

बेंगलुरू। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान 75 'अमृत सरोवर' (75 Amrit Sarovars) विकसित किए जा रहे हैं। मौजूदा जल निकायों को पुनर्जीवित कर उनका सौंन्दर्यीकरण किया जा रहा है। 75 'अमृत सरोवर' विकसित करने की पहल में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री, राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrashekhar) ने बेंगलुरु में केम्पंबुधि (Kempambudhi), गुब्बाला (Gubbala) और मेस्ट्रिपल्या (Mestripalya) झीलों का दौरा किया। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इन झीलों को अमृत सरोवर कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा साथ ही इन झीलों का पुनर्वास और पुनरुद्धार कर उनको आकर्षक भी बनाया जाएगा।

 

निरीक्षण के बाद झीलों को पुनर्जीवित करने पर हुई चर्चा

श्री चंद्रशेखर के साथ विधायक एम कृष्णप्पा, रवि सुब्रमण्य एल और उदय बी गरुड़चार के अलावा झील एक्सपर्ट्स व नागरिक भी निरीक्षण के दौरान मौजूद रहे। निरीक्षण के दौरान इन झीलों को पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने के लिए कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की गई।

झीलों को संरक्षित करने के साथ अतिक्रमण से बचाव भी उद्देश्य

दरअसल, झीलों को अतिक्रमण से बचाने के साथ साथ जल निकायों के संरक्षण व पुनर्जीवन का काम तेजी से केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर द्वारा कराया जा रहा है। इस कार्य के लिए उन्होंने यूनाइटेड बेंगलुरु के साथ सहयोग किया है, जिसका उद्देश्य झील के अतिक्रमण को समाप्त करना और बेंगलुरु की झीलों को डंप करना और उनकी रक्षा करना है। इसके अलावा, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, सिविल सोसाइटी संगठन और नागरिक स्वयंसेवक, झील संरक्षण में सबसे आगे रहे हैं और पूरे बेंगलुरु में इन झीलों को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मेस्ट्रिपल्या झील के पुनरुद्धार में केंद्रीय मंत्री का अहम योगदान

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर बेंगलुरु की मेस्ट्रिपल्या झील के पुनरुद्धार में भी शामिल थे, जिसे अतिक्रमण से तबाह कर दिया गया था। वह बेलंदूर, वरथुर, रामपुरा, येलहंका, होरामावु और सरक्की सहित कई झीलों के निर्माण में भी प्रभावशाली रहे हैं। उन्होंने शहर में कई झीलों की सुरक्षा के लिए कई झील समूहों, स्थानीय समुदाय और झील और कानूनी विशेषज्ञों के साथ वर्षों से अथक प्रयास किया है।

 

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