
नई दिल्ली. दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission) ने जागरुकता अभियान के जरिये 10 से 17 जनवरी तक 'कृषि पोषण वाटिका सप्ताह' मनाया। इस दौरान ग्रामीण घरों में 'कृषि पोषण वाटिका' लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया है। इसका मकसद प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार को कृषि पोषण वाटिका लगाने में मदद करना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एजेंडा है और इसमें जरूरत से ज्यादा उपज को आय सृजन के लिए बाजार में बेचा भी जा सकता है।
देश में लगाई गईं 78 लाख कृषि वाटिकाएं
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ताकत बढ़ाने की प्रधानमंत्री की सोच और आत्म-निर्भर भारत के उनके आह्वान के अनुरूप ग्रामीण भारत में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में 78 लाख से अधिक कृषि पोषण वाटिकाओं की स्थापना की जा चुकी है। इस पहल से ग्रामीण भारत को नया रास्ता दिखा रहा है। इस कृषि पोषण वाटिका सप्ताह में 7500 वाटिका के लक्ष्य के मुकाबले कुल 76,664 'कृषि पोषण वाटिका' लगाई गई हैं। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि महिलाओं और स्कूली बच्चों को शामिल करते हुए पोषण संबंधी जागरुकता, शिक्षा और रहन-सहन में बदलाव को बढ़ावा देने में मदद कर रही है। इससे स्थानीय नुस्खा के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करते हुए कुपोषण को दूर करने और घरेलू कृषि तथा पोषण वाटिका के माध्यम से पोषण-युक्त कृषि को लागू करने में काफी मदद मिल रही है।
फल-सब्जियों को प्रोत्साहन
13 जनवरी, 2022 को एक वेबिनार का आयोजन किया गया था, जिसमें 700 जगहों से पहुंची 2000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया था। इस दौरान महिला किसानों को सभी घरों में कृषि पोषण वाटिका लगाने के लिए प्रेरित किया गया और कहा गया कि इन वाटिकाओं में तरह-तरह की सब्जियों और फलों की खेती करने की योजना होनी चाहिए, ताकि समग्र घरेलू पोषण की आवश्यकता को पूरा किया जा सके। वेबिनार में ओडिशा, महाराष्ट्र, मिजोरम, मध्य प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर ने काम करने के अपने सर्वोत्तम तरीकों को प्रस्तुत किया और कृषि पोषण वाटिका लगाने की दिशा में अपने काम का प्रदर्शन किया। कुछ महिला उद्यमियों ने भी वेबिनार में अपनी कहानियां साझा कीं। मध्य प्रदेश की सुमित्रा केवल और झारखंड की आरती कुमारी ने वेबिनार में अपनी कहानियां सुनाईं, जिसने सभी प्रतिभागियों को इस काम में और भी बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सफल महिला किसानों ने बताया
दोनों महिला किसानों ने बताया कि अब उनके परिवार में चिकित्सा खर्च में कम पैसा खर्च किया जा रहा है, क्योंकि उन्हें पौष्टिक और रसायन मुक्त भोजन मिल रहा है और उसे उन्होंने अपने कृषि पोषण वाटिका में खुद उगाया है।
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