ईडी ने खुलासा किया है कि रियल्टी समूह यूनिटेक के प्रमोटर भाइयों ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को घर खरीदारों के पैसे रिश्वत के रूप में दिए। ईडी ने इस मामले में 1,059.52 करोड़ रुपए की संपत्तियों को फ्रीज किया है।
नई दिल्ली। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने गुरुवार को कहा कि रियल्टी समूह यूनिटेक के प्रमोटर भाइयों ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को रिश्वत के रूप में घर खरीदारों के पैसे दिए। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद रहने के दौरान ये पैसे दिए गए। ईडी ने एक बयान में कहा कि अस्थायी रूप से अटैच्ड संपत्तियों में आवासीय, वाणिज्यिक इकाइयां, गुरुग्राम, गोवा, चेन्नई और कुछ अन्य स्थानों में भूमि पार्सल, डिमांड ड्राफ्ट, इक्विटी शेयर और बैंक बैलेंस शामिल हैं। संपत्तियों का स्वामित्व सीआईजी (चंद्र इन्वेस्टमेंट ग्रुप) रियल्टी फंड और प्रामाणिक समूह के पास है।
इन संपत्तियों को फ्रीज करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत दो आदेश जारी किए गए थे। इस ताजा कार्रवाई के साथ ईडी ने 14 कुर्की आदेश जारी किए हैं और 1,059.52 करोड़ रुपए की संपत्तियों को फ्रीज किया है। एजेंसी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया है कि यूनिटेक के प्रमोटरों अजय और संजय चंद्रा ने 244 करोड़ रुपए के होमबॉयर्स के फंड को सीआईजी रियल्टी फंड में अवैध रूप से डायवर्ट किया था।
निवेशकों के पैसे छीने
डायवर्ट किए गए पैसे का इस्तेमाल यूनिटेक समूह की भूमि स्वामित्व वाली कंपनियों को खरीदने के लिए किया गया था। औरम एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड चंद्र परिवार द्वारा नियंत्रित कंपनियों में से एक थी। इसका उपयोग सीआईजी रियल्टी फंड के मामलों के प्रबंधन के लिए किया जाता था। इस कंपनी का इस्तेमाल चंद्रा परिवार ने सीआईजी रियल्टी फंड के खातों से निवेशकों के पैसे छीनने के लिए भी किया था।
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एजेंसी ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल तिहाड़ जेल के कुछ अधिकारियों को रिश्वत देने और चंद्र बंधुओं के अन्य व्यक्तिगत खर्चों के लिए किया गया था। चंद्र बंधु पहले तिहाड़ जेल में बंद थे। ईडी द्वारा जेल में उनकी कथित अवैध गतिविधियों के बारे में सुप्रीम कोर्ट को सूचना देने के बाद कोर्ट ने उन्हें मुंबई जेल भेजने का आदेश दिया था।
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