अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डॉक्यूमेंट्स गहरा पक्षपातपूर्ण है और यह देश की खराब समझ को दर्शाता है।
America report on Manipur violence: मणिपुर हिंसा पर अमेरिकी विदेश विभाग ने मानवाधिकार उल्लंघन से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित किया है। अमेरिकी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि बीते साल मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद मानवाधिकारों का काफी अधिक हनन किया गया। अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डॉक्यूमेंट्स गहरा पक्षपातपूर्ण है और यह देश की खराब समझ को दर्शाता है।
रिपोर्ट पर भारत की क्या है टिप्पणी?
गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा: यह रिपोर्ट बेहद पक्षपातपूर्ण है और भारत की बहुत खराब समझ को दर्शाती है। हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं और आपसे भी ऐसा करने का आग्रह करता हूं।
क्या है अमेरिकी रिपोर्ट में आरोप?
अमेरिका के विदेश विभाग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी किया है जोकि भारत के मणिपुर राज्य में हिंसा को लेकर है। इसमें मानवाधिकारों के हनन को लेकर काफी सख्त रिपोर्टिंग की गई है। '2023 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज: इंडिया' नाम से विदेश मंत्रालय के रिपोर्ट में कहा गया है कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के परिणामस्वरूप "महत्वपूर्ण मानवाधिकारों का दुरुपयोग" हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को शर्मनाक बताया और मामले पर कार्रवाई का आह्वान किया।
रिपोर्ट में बीबीसी के दिल्ली और मुंबई ऑफिसों के रेड का भी जिक्र है। कहा गया है कि 14 फरवरी को बीबीसी के दिल्ली और मुंबई कार्यालयों की 60 घंटे का सर्च किया गया। यह कार्रवाई ब्रॉडकास्टर द्वारा पीएम मोदी पर एक डॉक्यूमेंट्री के जारी होने के तुरंत बाद हुई। टैक्स अधिकारियों ने इस खोज को बीबीसी के टैक्स् भुगतान और स्वामित्व संरचना में अनियमितताओं से प्रेरित बताया। अधिकारियों ने उन पत्रकारों की भी तलाशी ली और उनके उपकरण जब्त किए जो संगठन की वित्तीय प्रक्रियाओं में शामिल नहीं थे। रिपोर्ट में मोदी सरनेम को लेकर राहुल गांधी को हुई अधिकतम सजा और उनकी लोकसभा सदस्यता जाने का भी जिक्र है। विस्तृत रूप से बताया गया कि कैसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के बाद राहुल गांधी को बाद में बहाल कर दिया गया था।
रिपोर्ट में कुछ सकारात्मक घटनाओं का भी जिक्र है। बताया गया है कि पिछले साल जुलाई में सरकार ने श्रीनगर में एक मार्च की अनुमति दी जिससे शियाओं को मुहर्रम मनाने की अनुमति मिल गई। यह जुलूस 1989 से प्रतिबंधित था।
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