कप्पन गिरफ्तारी: यूपी सरकार ने कहा, सिद्दिकी ने जिस अखबार का पत्रकार बताया, वह 2018 में ही बंद हो गया

दिल्ली से हाथरस जाने वाले केरल के कथित पत्रकार सिद्दिकी कप्पन की रिहाई का यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने कप्पन की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 21, 2020 3:22 AM IST / Updated: Nov 21 2020, 10:46 AM IST

नई दिल्ली. दिल्ली से हाथरस जाने वाले केरल के कथित पत्रकार सिद्दिकी कप्पन की रिहाई का यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने कप्पन की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

कप्पन ने पत्रकार की आड़ ले रखी है
याचिका पर कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए यूपी सरकार ने कहा कि सिद्दीकी विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया में कार्यालय सचिव है और उसने पत्रकार होने की आड़ ले रखी है।

यूपी सरकार ने अपने हलफनामें में कहा, जिस अखबार तेजस का पहचान पत्र दिखाकर कप्पन खुद को पत्रकार बता रहा था, वह अखबर 2018 में बंद हो चुका है। वहीं, उनके साथ गिरफ्तार किए गए तीन लोग पीएफआई के छात्र संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सक्रिय सदस्य हैं।

5 अक्टूबर को किया गया था गिरफ्तार
कप्पन सिद्दीकी समेत अतीक उर रहमान, आलम और मसूद को 5 अक्टूबर को हाथरस में जातीय दंगे की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि अब तक हुई जांच में मामले में गहरी साजिश के सबूत मिल रहे हैं। पूरे इलाके को जातीय हिंसा की आड़ में झोकने की साजिश रची गई थी।

यूपी सरकार द्वारा दायर 82 पन्नों को हलफनामा कई पत्रकारों और उनके संगठन के झूठ का खुलासा करता है। यह हलफनाा उनके मुंह पर तमाचा है। याचिकाकर्ता (केरल जर्नलिस्ट यूनियन) के पास याचिका दायर करने के लिए कोई तर्क नहीं है क्योंकि आरोपी पहले से ही अपने वकीलों और रिश्तेदारों के संपर्क में है। वह खुद अपने वकीलों के जरिए याचिका दायर कर सकता है। याचिकाकर्ता (केरल जर्नलिस्ट यूनियन) ने झूठ का सहारा लिया है।

हिरासत में लिया गया व्यक्ति  सिद्दीकी कप्पन,  तेजस नाम से केरल स्थित समाचार पत्र का पहचान पत्र दिखाकर खुद को पत्रकार बता रहा था। लेकिन वह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का कार्यालय सचिव है।

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