Chandrayaan-3 से मिली जानकारी पाने को भारत की ओर टकटकी लगाए देख रहा अमेरिका-रूस, केंद्रीय मंत्री ने कही ये बातें

Published : Nov 11, 2023, 11:32 AM ISTUpdated : Nov 11, 2023, 11:36 AM IST
Chandrayaan-3

सार

केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने कहा है कि अमेरिका और रूस को चंद्रयान तीन से मिली जानकारी पाने का बेसब्री से इंतजार है। चंद्रयान तीन द्वारा जुटाए गए डाटा का विश्लेषण किया जा रहा है। 

नई दिल्ली। अमेरिका और रूस दोनों चंद्रयान तीन (Chandrayaan-3) से मिली जानकारी पाने के लिए भारत की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं। केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत के चंद्रयान-3 से मिली सूचना का अमेरिका और रूस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। आदित्य एल1 ने भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को बड़ी सफलता दिलाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पॉलिसी से भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी मिल रही है।

मंत्री ने कहा कि भारत ने चांद और सूर्य मिशन से पता चलता है कि देश कितनी तेजी से तरक्की कर रहा है। चंद्रयान तीन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा। इस क्षेत्र का पहले अध्ययन नहीं हुआ था। हमने चंद्रमा के वायुमंडल, खनिजों और तापीय स्थितियों पर महत्वपूर्ण डेटा एकत्र किया है। इसके निष्कर्षों का विश्लेषण किया जा रहा है। रूस और अमेरिका ने भारत से पहले चंद्रमा पर अपने मिशन भेजे थे। दोनों देशों को भारत से गहरी उम्मीद है कि हम अपनी जानकारी शेयर करेंगे।

चंद्रयान-3 ने जमा किए हैं चांद पर पानी के सबूत

जीतेंद्र सिंह ने कहा, "चांद पर इंसान भेजने वाला अमेरिका पहला देश है। 1969 में अमेरिका का मानव मिशन चंद्रमा पर पहुंचा था। लेकिन यह हमारा चंद्रयान-3 है जिसने चांद की धरती पर पानी के अणु (H2O) होने के सबूत जमा किए हैं। इससे पता चला है कि यहां जीवन की संभावना है। यह खोज के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।"

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अमेरिका और रूस को है चंद्रयान तीन की जानकारी का बेसब्री से इंतजार

सिंह ने कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA (National Aeronautics and Space Administration) आज भारत का समर्थन चाहती है। अमेरिका और रूस इस पर भारत की ओर से जानकारी साझा करने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। आदित्य मिशन ने वीडियो भेजना शुरू कर दिया है। जनवरी में इसके पूरी तरह से काम शुरू करने की योजना है। पीएम मोदी की पहल ने श्रीहरिकोटा और इसरो को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए खोला गया। इससे अंतरिक्ष क्षेत्र में 150 से अधिक स्टार्टअप खुले हैं। पिछले तीन से चार साल में हमारे पास अंतरिक्ष क्षेत्र में 150 से अधिक स्टार्टअप हैं। कुछ पहले ही उद्यमी बन चुके हैं।

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