उत्तराखंड: सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए सेना के जवान तैनात, मिली है यह बड़ी जिम्मेदारी

उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे अभियान में इंडियन आर्मी भी शामिल हो गई है। सेना के जवान मैनुअल ड्रिलिंग करेंगे।

Vivek Kumar | Published : Nov 26, 2023 8:53 AM IST / Updated: Nov 26 2023, 02:25 PM IST

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे अभियान (Uttarkashi tunnel rescue operation) में भारतीय सेना के जवानों को भी तैनात किया गया है। इंडियन आर्मी के जवानों को मजदूरों तक पहुंचने के लिए तैयार किए जा रहे रास्ते में मैनुअल ड्रिलिंग की बड़ी जिम्मेदारी मिली है। यहां फंसे ऑगर ड्रिलिंग मशीन के ब्लेड को प्लाज्मा कटर से काटकर निकालने का काम चल रहा है। सुरंग में 15 दिनों से लोग फंसे हुए हैं।

भारतीय सेना के जवान रविवार को बचाव अभियान में शामिल हुए। उन्हें सुरंग तक अपने उपकरण ले जाता देखा गया। यहां खुदाई कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन खराब हो गई। उसे हटाने का काम चल रहा था। मलबे में ड्रिलिंग करते समय लोहे के रॉड में फंसने से मशीन पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। उसके ब्लेड टूटकर फंस गए हैं।

प्लाज्मा कटर से काटे जा रहे ऑगर मशीन के हिस्से

ऑगर मशीन को काटकर निकालने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर लाया गया है। इसकी मदद से ऑगर मशीन के हिस्से को मैन्युअल रूप से काटकर हटाया जा रहा है। यह प्रक्रिया रविवार को तक पूरी होने की संभावना है। दूसरी ओर अधिकारियों ने फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए सिल्क्यारा सुरंग के ऊपर पहाड़ी की चोटी पर नीचे की ओर ड्रिलिंग शुरू कर दी है।

शुक्रवार को खराब हो गई थी ऑगर मशीन

सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए ऑगर मशीन द्वारा मलबे में खुदाई की जा रही थी। इसके साथ ही 800mm का लोहे का पाइप लगाया जा रहा था। इस पाइप के अंदर से होते हुए मजदूरों को सुरंग से बाहर आना था। इस अभियान में लगातार बाधाएं आ रहीं थी। शुक्रवार को ड्रिलिंग के दौरान पूरे दिन बाधा आई, जिससे ऑगर मशीन खराब हो गई। शनिवार को इसका पता चला। इसके बाद मशीन को टुकड़े-टुकड़े कर हटाया जा रहा है।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर आने के लिए करना होगा क्रिसमस तक इंतजार

ऑगर मशीन के हिस्सों को पूरी तरह हटाए जाने के बाद मैन्युअल ड्रिलिंग कर आगे का रास्ता तैयार किया जाएगा। करीब 10 मीटर और खुदाई की जानी है। यहां जगह इतनी कम है कि एक आदमी ही एक बार में खुदाई कर पाएगा। उसे अपने साथ ऑक्सीजन ले जाना होगा। बचाव कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ऑक्सीजन सिलेंडर को एक बार में एक घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके बाद खुदाई कर रहे व्यक्ति को बाहर आना पड़ता है। इस वजह से खुदाई के काम में देर हो होगी।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड टनल में फंसे 41 मजदूरों के परिजन की टूट रही आस, रेस्क्यू ऑपरेशन का प्लान ए फेल, अब दूसरे प्लान की तैयारी

Share this article
click me!