भारत के खिलाफ खालिस्तानियों का जहर उगलने वाला वीडियो वायरल, अपनी दुर्दशा को भूल पाकिस्तान कर रहा सपोर्ट

किसान विरोध प्रदर्शन की आड़ में खालिस्तान की मांग करते हुए कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। ऐसा ही एक और वीडियो वायरल हो रहा है। जो कहा जा रहा है उसके मुताबिक, वीडियो खैबर पख्तून का है। वीडियो में एक सिख भी दिख रहा है और वह वीडियो में हर कही बात पर हामी भरता दिख रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 6, 2021 7:00 AM IST / Updated: Feb 06 2021, 12:40 PM IST

नई दिल्ली. किसान विरोध प्रदर्शन की आड़ में खालिस्तान की मांग करते हुए कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। ऐसा ही एक और वीडियो वायरल हो रहा है। जो कहा जा रहा है उसके मुताबिक, वीडियो खैबर पख्तून का है। वीडियो में एक सिख भी दिख रहा है और वह वीडियो में हर कही बात पर हामी भरता दिख रहा है।
 
वीडियो में क्या कहा गया है?
वीडियो में माइक पर एक शख्स बोलता हुआ दिख रहा है। साथ में एक सिख भी खड़ा है। माइक पर बोला जाता है, मैं मोदी को बताना चाहता हूं, पाकिस्तान की अवाम खालिस्तान मूवमेंट का समर्थन करती है। अब हिंदुस्तान के टुकड़े-टुकड़े होंगे। अब कश्मीर आजाद होगा। हैदराबाद आजाद होगा। खालसा खालिस्तान का, कश्मीर पाकिस्तान का। खैबर पख्तून की जमीन से यह संदेश देते हैं, पाकिस्तान भी पैगाम देता है। खालिस्तान भी पैगाम देता है। ये आवाज मोदी तक जानी चाहिए।

विदेशी हस्तियों ने भी किया हस्तक्षेप
कैरेबियन पॉप स्टार रिहाना, पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग समेत तमाम विदेशी हस्तियों ने हाल ही में किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया था। रिहाना ने किसान आंदोलन की खबर शेयर करते हुए कहा था कि इस बारे में हम बात क्यों नहीं कर रहे हैं? वहीं, ग्रेटा थनबर्ग ने एक टूल किट जारी किया था। इस टूल किट से भारत के खिलाफ साजिश का भी पर्दाफाश हुआ था।

कहां है खैबर पख्तूनख्वा?
खैबर-पख्तूनख्वा पाकिस्तान का एक प्रान्त है। जो 2018 में संविधान संशोधन उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (NWFP) और संघ प्रशासित आदिवासी क्षेत्र (FATA) के विलय के बाद अस्तित्व में आया। इसे सूबा-ए-सरहद के नाम से भी जाना जाता है जो अफग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित है। यहां पर पश्तूनों की आबादी अधिक है, जिन्हें स्थानीय रूप से पख्तून भी कहते हैं। इनकी मातृभाषा पश्तो है। इस प्रांत की जनसंख्या करीब 2 करोड़ है जिसमें अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों की 15 लाख की आबादी सम्मिलित नहीं है।

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