कोरोना से बचाव के लिए विश्व हिंदू परिषद का अभियान, महिलाओं को देगा विशेष प्रशिक्षण

विश्व हिंदू परिषद की अंतरराष्ट्रीय दो दिवसीय बैठक में कोरोना, धर्मांतरण जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही कुछ उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अभियान चलाने का संकल्प लिया गया। 

फरीदाबाद। कोरोना से रक्षा, धर्मांतरण पर रोक व मठ-मंदिरों की मुक्ति के संकल्प के साथ विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय प्रन्यासी मण्डल व प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक संपन्न हुई। तय हुआ कि तीसरी लहर से देश को बचाने के लिए गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करेंगे और मदद करेंगे। 

फरीदाबाद के मानव रचना विश्वविद्यालय में हुई बैठक की जानकारी देते हुए विहिप कार्याध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि बैठक में तय हुआ कि कोरोना की तीसरी लहर से रक्षा के लिए पूरे देश में अभियान चलाया जाएगा। हम देशभर की हिन्दू शक्तियों के साथ मिलकर भारत के एक लाख से अधिक गावों एवं शहरी बस्तियों में व्यापक जन-जागरण कर न सिर्फ लोगों को इससे बचाव के प्रति जागरुक करेंगे बल्कि पीडि़त परिवारों की हर सम्भव मदद भी करेंगे।

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उन्होंने कहा कि चूंकि, इस बार बच्चों को विशेष निशाना बनाए जाने की आशंका है इसलिए हम महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रहे हैं। संकट के समय पर अकेली सरकार ही नहीं, सम्पूर्ण समाज जुटता है, तभी उससे मुक्ति मिलती है।

उन्होंने कहा कि अवैध मतांतरण एक राष्ट्रीय अभिशाप है, जिससे मुक्ति मिलनी ही चाहिए। इस पर रोक हेतु 11 राज्यों में तो कानून हैं किन्तु समस्या व षड़यंत्र राष्ट्रव्यापी हैं। इसलिए हमारी इस अन्तर्राष्ट्रीय बैठक का सर्व-सम्मत मत है कि इसके लिए केन्द्रीय कानून बनना ही चाहिए। तभी इस अभिशाप से मुक्ति मिल सकती है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों व वर्तमान परिस्थितियों से भी यह स्पष्ट हो चुका है कि केन्द्र सरकार को इस बारे में और विलम्ब नहीं करना चाहिए। हमने हिन्दू समाज से भी आह्वान किया है कि मुल्ला-मिशनरियों के भारत विरोधी व हिन्दू द्रोही षड़यंत्रों पर सजग निगाहें रखकर सभी संविधान सम्मत उपायों के माध्यम से इन पर रोक लगाए। 

आलोक कुमार ने यह भी कहा कि बैठक में देशभर के मठ-मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण से मुक्ति हेतु भी एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मठ-मंदिर न केवल आस्था बल्कि चिरंजीवी शक्ति के केन्द्र व हिन्दू समाज की आत्मा हैं। इन्हें सरकारी नियंत्रण में नहीं रखा जा सकता। समाज को स्वयं इनकी देख-भाल व संचालन का दायित्व सौंपना चाहिए। चिदम्बरम् नटराज मंदिर मामले सहित कई बार माननीय न्यायपालिका ने भी कहा है कि सरकारों को मंदिरों के नियंत्रण का कोई अधिकार नहीं है इसलिए विश्व भर से जुड़े विहिप कार्यकर्ताओं ने एक स्वर से अपील करते हुए केन्द्र सरकार से कहा है कि इसके लिए भी एक केन्द्रीय कानून बनाकर मठ-मंदिरों व धार्मिक संस्थाओं को सरकार नियंत्रण से मुक्ति दिलाकर हिन्दू समाज को सौंपा जाए।

बैठक में लगभग 50 केन्द्रीय व क्षेत्रीय पदाधिकारी कोरोना नियमों का पालन करते हुए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहे। जबकि लगभग 350 प्रांतीय अधिकारी व भारत के बाहर के पदाधिकारी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।

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