पश्चिम बंगाल में 10 साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी मुस्तकीन सरदार को दो महीने के अंदर मौत की सजा सुनाई गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने त्वरित न्याय की सराहना की।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में 19 साल के मुस्तकीन सरदार को मौत की सजा मिली है। वह 10 साल की बच्ची के साथ रेप और उसकी हत्या के मामले में दोषी पाया गया है। मुस्तकीन 5 अक्टूबर को महिषामरी में गिरफ्तार किया गया था। बच्ची की हत्या के चंद घंटे बाद ही उसे पुलिस ने पकड़ लिया था। एक महीने के भीतर पुलिस ने चार्जशीट फाइल कर दिया। 31 दिन के अंदर ट्रायल पूरा हुआ। दो महीने से थोड़े समय बाद ही मामले में कोर्ट ने सजा सुना दी।
शुक्रवार को एक कोर्ट ने मुस्तकीन को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (हत्या), 65 (बलात्कार) और 66 (पीड़िता की मौत या उसे लगातार अचेत अवस्था में पहुंचाने की सजा) के तहत दोषी पाया। कलकत्ता हाईकोर्ट की जांच के बाद यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की कठोर धाराएं भी जोड़ी गईं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दोषी को कम वक्त में सजा दिए जाने की सराहना की है। उन्होंने कहा, "इस तरह के मामले में दो महीने से भी कम समय में दोष सिद्धि और मृत्युदंड बंगाल के इतिहास में अभूतपूर्व है। मैं इस उपलब्धि के लिए पुलिस और अभियोजन प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों को बधाई देती हूं। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के प्रति सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।"
पीड़ित बच्ची ट्यूशन पढ़ने गई थी। वह घर नहीं लौटी तो उसके परिजनों ने पुलिस में शिकायत की। आरोपी बच्ची को आइसक्रीम खिलाने और लिफ्ट देने के बहाने अपने साथ ले गया था। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के जरिए अपराधी की पहचान की और उसे गिरफ्तार किया। बाद में मुस्तकीन ने अपना अपराध कबूल कर लिया। उसने बताया कि बच्ची का शव कहां फेंका है। इसके बाद पुलिस ने खेत से बच्ची का शव बरामद किया। पोस्टमार्टम में पुष्टि हुई कि बच्ची के साथ रेप किया गया था।
बच्ची का शव मिलने के बाद महिषामारी में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए थे। यह घटना कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के तुरंत बाद हुई थी। महिषामारी में गुस्साए ग्रामीणों ने एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में तोड़फोड़ की और उसे आग लगा दी थी।