पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: केंद्रीय बलों की तैनाती पर कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार

Published : Jun 17, 2023, 01:44 PM ISTUpdated : Jun 17, 2023, 03:00 PM IST
Supreme Court

सार

पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव (West Bengal Panchayat polls) में हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव (West Bengal Panchayat polls ) में हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ सीएम ममता बनर्जी की सरकार और बंगाल चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।

हाईकोर्ट ने 48 घंटे में पूरे राज्य में सेंट्रल फोर्स की तैनाती करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह केंद्र सरकार को इसके लिए पत्र लिखे। बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

राज्यपाल ने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को तलब किया

दूसरी ओर पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को तलब किया है। वह चुनाव आयुक्त से पंचायत चुनाव से संबंधी मामलों पर चर्चा करना चाहते हैं। दरअसल, पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में पिछले दिनों हिंसा हुई थी। उपद्रवियों ने जमकर बमबाजी की थी। शुक्रवार को राज्यपाल मौके पर गए थे और स्थिति का जायजा लिया था। शनिवार को भाजपा नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात की।

शुक्रवार को राज्य सरकार और चुनाव आयोग के अधिकारियों की हुई थी बैठक
सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग के सीनियर अधिकारियों और राज्य सरकार के अधिकारियों ने शुक्रवार को बैठक की थी। इस दौरान राज्य के कानूनी सलाहकार से सलाह ली गई थी। गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह 48 घंटे में पूरे राज्य में पंचायत चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तैनात करे और इसके लिए मांग करे।

पश्चिम बंगाल में आठ जुलाई को पंचायत चुनाव के लिए मतदान होगा। अभी नामांकन हो रहा है। नामांकन के दौरान हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि हिंसा प्रभावित सभी जिलों के लिए आवश्यक आदेशों का पालन किया जाए। कोर्ट ने 13 जून को शांतिपूर्ण चुनाव कराने को लेकर निर्देश दिए थे, लेकिन सुनवाई के दौरान पता चला कि कोर्ट के निर्देशों पर सही तरह कदम नहीं उठाए गए।

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