पश्चिम बंगाल में रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान लाया गया है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि हर साल सैकड़ों को फांसी की सजा सुनाई जाती है लेकिन फांसी नहीं होती।
Rapists hanged in 20 years in India: पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को रेपिस्टों को दस दिनों में फांसी का विधेयक पास किया। राज्यपाल और देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। बंगाल में सख्त कानून तो बन गया लेकिन देश में सख्त कानूनों के बाद भी रेपिस्टों को सजा नहीं मिल पा रहा। आंकड़ें बता रहे कि निर्भया के दोषियों के बाद रेप के हजारों मामले सामने आए लेकिन अभी तक किसी को फांसी की सजा नहीं हुई जबकि हर साल सैकड़ों आरोपियों को दोषी करार फांसी की सजा दी जाती है।
निर्भया कांड में ही केवल फांसी की सजा
2012 में निर्भया कांड के बाद पूरा देश दहल उठा था। जनाक्रोश को देखते हुए 2013 में केंद्र सरकार ने रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान किया था। आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल रेप के मामलों में सैकड़ों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जाती लेकिन अभी तक केवल निर्भया कांड के चार दोषियों को ही एक दशक में फांसी हो सकी है। दिल्ली की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में सेशन कोर्ट ने 120 मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी जिसमें 64 मामले केवल रेप-मर्डर से जुड़े थे। 2019 में सेशन कोर्ट ने 54 रेपिस्टों को सजा सुनाई तो 2020 में 45 रेप केसों में फांसी दी। 2021 में 44 रेप केसों में फांसी तो 2022 में 48 रेप केसों में फांसी दी गई।
केवल पांच दोषियों को ही मिली फांसी
1990 में 14 साल की एक बच्ची का रेप व मर्डर धनंजय चटर्जी नामक व्यक्ति ने किया था। करीब 14 साल बाद बच्ची को न्याय मिला और आरोपी धनंजय चटर्जी पर दोष तय हुआ। 14 अगस्त 2004 को धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई। इसके अलावा केवल निर्भया कांड के दोषियों को फांसी हुई थी। 20 मार्च 2020 को निर्भया के चार दोषियों को फांसी हुई थी। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक चलती बस में निर्भया का गैंगरेप हुआ था। इस कांड के छह दोषी थे। एक नाबालिग 3 साल की सजा काटकर छूट गया था। एक दोषी ने आत्महत्या कर ली थी। बाकी बचे चार दोषियों मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को फांसी हुई। चारों को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।
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