अन-पॉर्लियामेंट्री शब्दों को लेकर बवाल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा-कोई भी शब्द नहीं है बैन

अन-पॉर्लियामेंट्री शब्दों (Unparliamentary Words) की सूची जारी होते ही देशभर में बवाल मचा हुआ है। विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह दमन का एक नया तरीका है कि अब कोई सदन में विरोध तक नहीं कर सके। विपक्ष का आरोप है कि सत्तापक्ष तानाशाही रवैया अपना रही है। 

Dheerendra Gopal | Published : Jul 14, 2022 2:18 PM IST

नई दिल्ली। भ्रष्ट, गैर-जिम्मेदार जैसे शब्दों को संसद में अन-पॉर्लियामेंट्री (Unparliamentary Words)घोषित किए जाने पर मचे बवाल के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को कहा कि किसी भी शब्द को किसी भी सदन में प्रतिबंधित नहीं किया गया है। जो शब्द सूची जारी किया गया है, वह पूर्व में अभिव्यक्तियों के रिकार्ड से हटाए गए हैं। अतीत के रिकार्ड से हटाए जाने के बाद हर बार शब्दों की लिस्ट जारी की जाती है ताकि लोगों को पता चल सके। इस बार हमने हटाने के बाद इंटरनेट पर डाल दिया ताकि कागज बचाया जा सके।

क्या कहा ओम बिरला ने?

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने कहा कि पहले इस तरह के असंसदीय शब्दों की एक बुक जारी की जाती थी ... कागजों की बर्बादी से बचने के लिए, हमने इसे इंटरनेट पर डाल दिया है। किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, हमने उन शब्दों का संकलन जारी किया है जिन्हें हटा दिया गया है। बिरला ने कहा, "क्या उन्होंने (विपक्ष) इस 1,100 पृष्ठ के शब्दकोश (असंसदीय शब्दों को शामिल करते हुए) को पढ़ा है? अगर वे ... गलत धारणा नहीं फैलाते ... यह 1954, 1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी किया गया है। .. 2010 से सालाना आधार पर रिलीज हो रही है।"

इन शब्दों का इस्तेमाल करने पर हटाया जाएगा

दरअसल, लोकसभा सचिवालय ने बुधवार को असंसदीय शब्दों की सूची में 'जुमलाजीवी', 'बाल बुद्धि', 'कोविड स्प्रेडर' 'स्नूपगेट' 'शर्मिंदा', 'दुर्व्यवहार', 'विश्वासघात', 'ड्रामा', 'पाखंड' और 'अक्षम' जैसे शब्दों को असंसदीय शब्द की श्रेणी में रखते हुए सूची जारी कर दिया। विपक्ष ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इससे सरकार की आलोचना करने की उनकी क्षमता बाधित होगी।

सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले जारी की गई इस पुस्तिका में 'अराजकतावादी', 'शकुनि', 'तानाशाही', 'तानाशाह', 'तानाशाही', 'जयचंद', 'विनाश पुरुष', 'खालिस्तानी' जैसे शब्द हैं। 'खून से खेती' को भी वाद-विवाद के दौरान या अन्यथा इस्तेमाल करने पर रिकार्ड से हटा दिया जाएगा।'दोहरा चरित्र', 'निकम्मा', 'नौटंकी', 'ढिंढोरा पीटना' और 'बहरी सरकार' को भी अब रिकार्ड से हटा दिया जाएगा।

अध्यक्ष के खिलाफ कोई भी टिप्पणी असंसदीय

राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष के पास शब्दों और भावों को समाप्त करने के लिए अंतिम शब्द होगा। बुकलेट में यह भी कहा गया है कि अध्यक्ष के खिलाफ दोनों सदनों में अंग्रेजी या हिंदी में किए गए किसी भी आरोप को असंसदीय माना जाएगा और संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।

असंसदीय के रूप में सूचीबद्ध कुछ शब्द:

'रक्तपात', 'खूनी', 'धोखा', 'शर्मिंदा', 'दुर्व्यवहार', 'धोखा', 'चमचा', 'चमचागिरी', 'चेला', 'बचकाना', 'भ्रष्ट', 'कायर', 'अपराधी' 'मगरमच्छ के आंसू', 'अपमान', 'गधा', 'नाटक', 'चश्मदीद', 'धोखा', 'गुंडागर्दी', 'पाखंड', 'अक्षम', 'भ्रामक', 'झूठ', 'असत्य', 'अराजकतावादी', 'गदर', 'गिरगिट', 'गुंडे', 'घड़ियाली अनुसू', 'अपमान', 'असत्य', 'अहंकार', 'भ्रष्ट', 'काला दिन', 'काला बाजार', 'खरीद फारोख्त' ', 'दंगा', 'दलाल', 'दादागिरी', 'दोहरा चरित्र', 'बेचारा', 'बॉबकट', 'लॉलीपॉप', 'विश्वासघाट', 'संवेदनहीन', 'मूर्ख', 'पित्तू', 'बहरी सरकार' ', और 'यौन उत्पीड़न'।

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