प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय खेल दिवस पर इंदिरा गांधी स्टेडियम से फिट इंडिया मूवमेंट (Fit India Movement) अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का मकसद देश के लोगों की सेहत को दुरुस्त करना है। यह कार्यक्रम 4 साल तक चलेगा। इसके जरिए हेल्दी लाइफ स्टाइल बनाने पर ध्यान दिया जाएगा।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय खेल दिवस पर इंदिरा गांधी स्टेडियम से फिट इंडिया मूवमेंट (Fit India Movement) अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का मकसद देश के लोगों की सेहत को दुरुस्त करना है। यह कार्यक्रम 4 साल तक चलेगा। इसके जरिए हेल्दी लाइफ स्टाइल बनाने पर ध्यान दिया जाएगा।
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि फिटनेट एक शब्द नहीं, बल्कि स्वस्थ और समृद्ध जीवन की एक जरूरत है। हमारी संस्कृति में फिटनेस पर जोर दिया गया है। यह हमारे जीवन का सहज हिस्सा रही है। हमारे पूर्वजों ने कहा है कि व्यायाम से ही स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख मिलता है। स्वस्थ रहने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं, अब सुनने को मिलता है कि स्वार्थ से ही सभी कार्य सिद्ध होते हैं। इसलिए स्वार्थ से स्वस्थ के भाव का कार्य जरूरी हो गया है। फिटनेस एक जन आंदोलन बनना चाहिए।
क्या है फिट इंडिया अभियान?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय खेल दिवस पर इंदिरा गांधी स्टेडियम से फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की।
- इस अभियान के तहत हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी को 15 दिवसीय फिटनेस प्लान भी तैयार करना होगा। इसे कॉलेज और यूनिवर्सिटी द्वारा अपने पोर्टल या वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।
- अभियान का मकसद स्वास्थ्य के प्रति देश में लोगों को जागरूक करना है। इस अभियान को मोदी सरकार स्वच्छता अभियान की तर्ज पर आगे बढ़ाना चाहती है।
- खेल मंत्री किरेन रिजिजू की अध्यक्षता में फिट इंडिया मूवमेंट पर सरकार को सलाह देने के लिए 28 सदस्यीय टीम बनी थी।
- समिति में राष्ट्रीय खेल संघ, ओलंपिक संघ, सरकारी अफसर और मशहूर फिटनेस हस्तियां शामिल थीं।
- फिट इंडिया अभियान को सफल बनाने के लिए केंद्र सरकार के कई मंत्रालय एक साथ काम करेंगे।
- खेल मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालय अपने-अपने स्तर पर कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
- अभियान का पहला साल शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित रहेगा। दूसरे साल में पौष्टिक भोजन और खाने की आदतों पर ध्यान दिया जाएगा।
- तीसरे साल में टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया जाएगा। चौथा साल स्वस्थ जीवन शैली की आदतें, स्वास्थ्य के अनुकूल चीजें और सेवाओं को आदत में शामिल करने पर केंद्रित रहेगा।
अन्य देशों में भी चल रहे अभियान
मोदी ने कहा, चीन भी हेल्दी चाइना 2030 पर काम कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने 2030 तक 15% लोगों को आलस्य से निकालने का लक्ष्य रखा है। अमेरिका 1000 शहरों को फिटनेस से जोड़ने पर काम कर रहा है। ब्रिटेन और जर्मनी भी फिटनेस की जरूरतों को समझ रहा है। कई देश पहले से इस पर काम कर रहे हैं। नए भारत का हर नागरिक फिट रहे, तभी देश आगे बढ़ेगा।
खराब सेहत को लेकर भारत से जुड़े कुछ आंकड़े
- सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत के 34 प्रतिशत परिवार बीमारियों पर होने वाले खर्च से त्रस्त हैं।
- भारत में 60% से ज्यादा मौतें गैर संक्रामक बीमारियों से होती हैं। इनके लिए खराब लाइफ स्टाइल को जिम्मेदार माना जाता है।
- डायबिटीज के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। भारत में इसके 6-7 करोड़ के बीच मरीज हैं। हर साल 10 लाख लोगों की मौत इस बीमारी से होती है।
- भारत में 5 करोड़ से ज्यादा लोग दिल की बीमारी से पीड़ित । हर साल 20 लाख लोगों की मौत इन बीमारियों से हो जाती है।
- भारत में हर साल 2.6 लोगों की मौत हाइपरटेंशन की वजह से होती है।
- भारत में मोटे लोगों की संख्या साढ़े 13 करोड़ से ज्यादा है।
- दुनिया के सबसे स्वस्थ देशों की लिस्ट में स्पेन पहले नंबर पर है। भारत इस लिस्ट में 120 वें नंबर पर है। श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश इस मामले में बेहतर हैं।
मोदी के पांच मंत्र
मोदी ने कहा- हमारी संस्कृति में फिटनेस पर जोर दिया गया है। यह हमारे जीवन का सहज हिस्सा रही है। हमारे पूर्वजों ने कहा है कि व्यायाम से ही स्वास्थ्य, लंबी आयु और सुख मिलता है।
उन्होंने कहा, ये लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां हैं। हम डेली रुटीन में बदलाव कर इनसे बचा जा सकता है। इन बदलावों के लिए प्रेरित करना ही फिट इंडिया मूवमेंट है।
''स्वस्थ्य व्यक्ति, स्वस्थ परिवार और स्वस्थ समाज ही फिट इंडिया मूवमेंट का लक्ष्य है। यही नए भारत को श्रेष्ठ भारत बनाने का रास्ता है।''
स्वस्थ रहने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं, अब सुनने को मिलता है कि स्वार्थ से ही सभी कार्य सिद्ध होते हैं। इसलिए स्वार्थ से स्वस्थ के भाव का कार्य जरूरी हो गया है।
पीएम ने कहा- आज देश में डायबिटीज जैसे अनेक बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। बच्चे भी इससे पीड़ित हो रहे हैं, नौजवानों को 40-50 साल में ही हार्ट अटैक आ रहा है।