Parakram Diwas: कब और क्यों मनाया जाता है पराक्रम दिवस, जानें कब से हुई इसकी शुरुआत

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत सरकार इसे हर साल 23 जनवरी को उनके जन्मदिवस पर मनाती है। 2021 में सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर केंद्र सरकार ने उनके जन्मदिन को हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।

Ganesh Mishra | Published : Jan 17, 2023 12:59 PM IST / Updated: Jan 17 2023, 06:34 PM IST

Parakram Diwas: नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत सरकार इसे हर साल 23 जनवरी को उनके जन्मदिवस पर मनाती है। 2021 में सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर केंद्र सरकार ने उनके जन्मदिन को हर साल 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया। इसके लिए एक समिति भी गठित की गई, जो कोलकाता और पूरे भारत समेत विदेशों में भी नेताजी एवं आजाद हिंद फौज से जुड़े अन्य स्थानों पर पराक्रम दिवस के लिए मार्गदर्शन करती है।

क्यों मनाया जाता है पराक्रम दिवस?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनकी याद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाने का फैसला किया है। नेताजी ने जिस तरह आजाद हिंद फौज की स्थापना कर लोगों में राष्ट्रवाद की चेतना जगाने का काम किया, ऐसे में उनकी निस्वार्थ सेवा को सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है।

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11 देशों की सरकार ने दी थी कानूनी मान्यता : 
सुभाष चंद्र बोस देश की आजादी के लिए लड़ने वाले असल नायकों में से एक थे। उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार न करते हुए  आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी। उनके द्वारा दिए गए 'जय हिंद' और 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' के नारे अमर हो गए। उन्होंने 5 जुलाई, 1943 को सिंगापुर में आजाद हिंद फौज के सुप्रीम कमांडर के तौर पर सेना को संबोधित किया था। 21 अक्टूबर, 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति के नाते स्वतंत्र भारत की पहली अस्थाई सरकार बनाई थी, जिसे जर्मनी, जापान फ़िलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड समेत 11 देशों ने कानून मान्यता दी थी। 

नेताजी की मौत आज भी रहस्य?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आज भी एक रहस्य है। उनके निधन के इतने सालों बाद भी ये पता नहीं चल सका कि आखिर उनकी मौत कैसे हुई थी। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक, सुभाष चंद्र बोस की मौत 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में हुई। कहा जाता है कि उनका विमान ताइवान में क्रैश हो गया था, जिसमें उनकी मृत्यु हो गई। हालांकि, जापान सरकार ने कहा था कि 18 अगस्त को ताइवान में कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी। इतना ही नहीं, नेहरू परिवार पर नेताजी की जासूसी कराने के भी आरोप लगे हैं।  

पराक्रम दिवस पर बनेगा विश्व रिकॉर्ड : 
23 जनवरी, 2023 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उत्तर प्रदेश के सभी शहरों में मानव श्रृंखला बनाकर विश्न रिकॉर्ड बनाया जाएगा। सुबह 11 बजे से 8वीं क्लास से लेकर 12वीं तक के बच्चे इसमें शामिल होंगे। प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र की ओर से सभी मंडल आयुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है। कहा जा रहा है कि देश में पहली बार इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा। 

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