Waqf Board: 5 असीमित अधिकार जिनके चलते हो रहा वक्फ एक्ट का विरोध, जानें क्या?

भारत में वक्फ बोर्ड की असीमित ताकत और उसके द्वारा मुस्लिम संपत्तियों के प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं। 1995 के वक्फ एक्ट के कुछ प्रावधानों के कारण, बोर्ड को विवादित संपत्तियों पर निर्णय लेने का अधिकार है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग उठ रही है।

Ganesh Mishra | Published : Sep 13, 2024 10:56 AM IST

Waqf Board: वक्फ में मिलने वाली जमीन या संपत्ति की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर बनी संस्था वक्फ बोर्ड इस वक्त काफी चर्चा में है। फिलहाल देश के अलग-अलग राज्यों में करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन, देखरेख और प्रबंधन करते हैं। बिहार समेत कई राज्यों में तो शिया और सुन्नी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड भी हैं। आखिर क्या है वक्फ बोर्ड और इसके पास कितनी ताकत है, जिसके चलते इसका विरोध हो रहा है, जानते हैं।

क्या है वक्फ बोर्ड?

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1947 में जब देश का बंटवारा हुआ तो बड़ी संख्या में मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। ऐसे में पाकिस्तान जाने वाले लोगों की जमीनों और संपत्तियों के मालिकाना हक के लिए 1954 में संसद में वक्फ एक्ट 1954 नाम से एक कानून बनाया गया। इसके बाद पाकिस्तान गए लोगों की जमीनों और संपत्तियों का मालिकाना हक इसी कानून के तहत बनाए गए वक्फ बोर्ड को दे दिया गया। 1955 में इस कानून में बदलाव कर देश के हर एक राज्य में वक्फ बोर्ड बनाने का फैसला लिया गया।

वक्फ बोर्ड के पास असीमित ताकत

भारत में 32 वक्फ बोर्डों के पास जो असीमित ताकत है, उतनी तो सऊदी अरब जैसे मूल इस्लामिक देशों में भी नहीं है। भारत में अगर कोई प्रॉपर्टी एक बार वक्फ की संपत्ति घोषित हो गई तो वो हमेशा के लिए वक्फ के हक में आ जाती है, जबकि दूसरे देशों में ऐसा नहीं है। भारत के अलावा अन्य इस्लामिक देशों में वक्फ की संपत्ति का ज्यूडिशियल रिव्यू किया जा सकता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है।

1995 में कांग्रेस सरकार ने वक्फ बोर्ड को किया और मजबूत

1995 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 में संशोधन करते हुए बक्फ बोर्ड को और ज्यादा असीमित ताकत दी। इसी असीमित पावर के चलते इस कानून का विरोध किया जा रहा है। जानते हैं आखिर क्या कर सकता है वक्फ बोर्ड?

इन 5 असीमित अधिकारों के चलते हो रहा वक्फ एक्ट का विरोध

1- वक्फ एक्ट 1995 के सेक्शन 3 (R) के मुताबिक, अगर बोर्ड किसी संपत्ति को मुस्लिम कानून के मुताबिक, पाक, मजहबी या दान करने योग्य मान ले तो वो संपत्ति वक्फ बोर्ड की हो जाएगी। यानी किसी जमीन पर मस्जिद हो या फिर उसका इस्तेमाल इस्लामी उद्देश्यों के लिए किया जा रहा हो तो वो संपत्ति अपने आप वक्फ की हो जाएगी।

2- वक्फ बोर्ड के इस फैसले पर अगर कोई आपत्ति जताता है कि ये जमीन उसकी है, तो इस बात का सर्वे करने भी वक्फ का आदमी ही जाएगा। वक्फ बोर्ड को ये ताकत वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 देता है।

3- अगर किसी जमीन या संपत्ति को लेकर विवाद है तो उसके निपटारे के लिए भी संबंधित को वक्फ ट्रिब्यूनल में ही जाना होगा। यानी एक बार वक्फ ने किसी जमीन को अपनी कह दिया तो उस पर आखिरी फैसला भी वक्फ ट्रिब्यूनल में ही होगा। वक्फ कानून के सेक्शन 85 के मुताबिक वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को किसी भी अन्य कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती।

4- किसी भी जमीन या प्रॉपर्टी को लेकर वक्फ के फैसले से असहमत शख्स को वक्फ बोर्ड या ट्रिब्यूनल के पास ही जाना पड़ेगा, भले वो संपत्ति किसी गैर-मुस्लिम की ही क्यों न हो। मतलब, वक्फ एक्ट सीधे-सीधे भारतीय न्याय व्यवस्था के अधिकार को कम करता है, जो बिल्कुल भी संविधान के अनुरूप नहीं है।

5- इसके अलावा वक्फ बोर्ड में किसी भी महिला और दूसरे धर्म के लोग नहीं रखे जा सकते। यानी इसके सभी मेंबर मुस्लिम होते हैं।

रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय द्वारा 2022 में उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक, देशभर के 32 वक्फ बोर्ड के पास करीब 8,65,644 अचल संपत्तियां हैं। वक्फ के पास 9.4 लाख एकड़ जमीन है, जो कि रेलवे और सेना के बाद तीसरे नंबर है। रेलवे के पास कुल 33 लाख एकड़ जमीन है, जबकि सेना के पास 17 लाख एकड़ जमीन है।

वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता चाहती है सरकार

वक्फ एक्ट में संशोधन के जरिये सरकार देशभर के तमाम वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता लाना चाहती है। वक्फ बोर्ड के मैनेजमेंट में गैर-मुस्लिम और महिला मेंबर्स को भी शामिल करने से काफी हद तक पारदर्शिता आएगी। इसके अलावा वक्फ के पैसे और संपत्तियों का हिसाब सरकारी अधिकारियों के कंट्रोल में रहेगा। केंद्र सरकार चाहती है कि वक्फ की संपत्ति का ऑडिट CAG के जरिये हो। 

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