जापान में स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) या 'मांस खाने वाले बैक्टीरिया' का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। यह इतना खतरनाक है कि इंसान की जान 48 घंटे में ले सकता है।
नई दिल्ली। जापान में तेजी से स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) या 'मांस खाने वाले बैक्टीरिया' के नाम से जानी जाने वाली तेजी से फैल रही है। इसके एक हजार से अधिक मामले सामने आए हैं। यह बीमारी 48 घंटे में इंसान की जान ले सकती है। अधिक उम्र के लोगों के लिए खतरा ज्यादा रहता है। जापान में स्वास्थ्य अधिकारी इस बीमारी के फैलने को लेकर हाई अलर्ट पर हैं।
क्या है स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम?
स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बैक्टीरियल इनफेक्शन है। यह ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया के कारण होता है। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, ऐसा तब होता है जब ये बैक्टीरिया गहरे ऊतकों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर विषाक्त पदार्थ छोड़ते हैं, जो शरीर में तीव्र और खतरनाक प्रतिक्रिया का कारण बनते हैं। CDC (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार ये बैक्टीरिया गहरे ऊतकों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं। वे यहां जहर छोड़ते हैं, जिससे मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है।
क्या हैं एसटीएसएस के लक्षण?
एसटीएसएस की शुरुआत बुखार, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, मतली और उल्टी जैसे लक्षण सामने आते हैं। 24 से 48 घंटों के भीतर, यह निम्न रक्तचाप, अंग विफलता, तेज हृदय गति और तेज सांस लेने में बदल जाता है। इलाज नहीं होने पर जान भी जा सकती है। ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस आमतौर पर बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट का कारण बनता है। यह वयस्कों में अंगों में दर्द, सूजन, बुखार और निम्न रक्तचाप जैसे गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है।
एसटीएसएस से बचने के क्या हैं उपाय?
एसटीएसएस को रोकने के लिए साफ-सफाई के रहना जरूरी है। नियमित रूप से हाथ धोना और खांसते व छींकते समय अपना मुंह ढकना चाहिए। घाव हो गए हैं तो उसका उचित देखभाल करें। संक्रमण का कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। समय पर इलाज मिलने से बैक्टीरिया का संक्रमण अधिक नहीं फैलता। ऐसा नहीं होने पर यह एसटीएसएस का कारण बन सकता है।
कैसे पता चलेगा हुआ है संक्रमण?
एसटीएसएस के संक्रमण का पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट कराने पड़ सकते हैं। इसमें ग्रुप ए स्ट्रेप बैक्टीरिया का पता लगाने और अंग के कार्य की जांच करने के लिए खून का टेस्ट शामिल है। जब किसी व्यक्ति में ग्रुप ए स्ट्रेप संक्रमण के साथ-साथ निम्न रक्तचाप और दो या अधिक अंग विफलताओं के लक्षण होते हैं जैसे किडनी या लीवर की समस्याएं तो इसका मतलब है कि एसटीएसएस संक्रमण गभीर हो गया है।
कैसे होता है एसटीएसएस का इलाज?
एसटीएसएस के इलाज में बैक्टीरिया को मारने के लिए IV के माध्यम से मजबूत एंटीबायोटिक्स देना शामिल है। मरीजों को उनके रक्तचाप को स्थिर करने और उनके अंगों को ठीक से काम करने में मदद करने के लिए तरल पदार्थ भी दिए जाते हैं।
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गंभीर मामलों में संक्रमित ऊतक हटाने और आगे की समस्याओं को रोकने के लिए सर्जरी तक करानी पड़ती है। एसटीएसएस का संक्रमण होने के बाद समय से इलाज मिलना बेहद महत्वपूर्ण है। जल्द इलाज मिलने पर स्थिति गंभीर होने से पहले ही सुधार हो जाता है। वहीं, देर होने पर मौत तक हो सकती है।
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