
नई दिल्ली. जेएनयू की कुलपति संतीश्री डी पंडित(JNU Vice Chancellor Santishree D Pandit) ने कहा कि महिला सशक्तिकरण(women empowerment) के बिना देश में अमृत काल नहीं आ सकता। उन्होंने पूछा कि टॉप लीडरशिप में इतनी कम महिलाएं क्यों हैं? उन्होंने यह भी कहा कि देश को उन युवा लड़कियों को फिर से पढ़ाई के लिए वापस लाने के तरीकों के बारे में सोचना चाहिए, जिन्हें पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन और एक्सपो के उद्घाटन दिवस पर गुरुवार को बोल रही थीं।
संतीश्री डी पंडित ने कहा, " समावेशन और समानता(inclusion and equality) के मामले में हम देश में सर्वश्रेष्ठ तीसरे स्थान पर हैं। सम्मेलन के पीछे का विचार जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया है, वह लैब टू लैंड तक इनोवेशन की सुविधा प्रदान कर रहा है।"
वीसी ने यह भी दावा किया कि महिलाओं की मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति या अन्य किसी चीज पर रिसर्च में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा-"वे (महिला छात्राएं) फैकल्टी और स्टूडेंट्स दोनों के स्तर पर एंट्री लेवल पर बहुत अच्छा करती हैं, लेकिन मिडिल और हायर लेवल पर कुछ होता है। उन्होंने हैरानी जताई कि इतनी सारी महिलाएं नेतृत्व की स्थिति में क्यों नहीं हैं?"
STREE2020 कॉन्फ़्रेंस और एक्सपो का आयोजन जेएनयू और महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाले एनजीओ शक्ति द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। यह कार्यक्रम 'आजादी का अमृत महोत्सव' को समर्पित है, जो अंग्रेजों से भारतीय स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए शुरू की गई एक सरकारी पहल है। यह सम्मेलन जेएनयू कन्वेंशन सेंटर में हो रहा है और शनिवार तक चलेगा।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सम्मेलन की आयोजक प्रोफेसर रंजना आर्य ने कहा: "सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विभिन्न सेक्टर्स जैसे-आइडियाज के एक्सचेंज से साइंस एंड एंटरप्रेन्योरशिप, भविष्य की दिशाओं के संबंध में टेक्निकल अचीवमेंट का प्रेजेंटेशन आदि के जरिये महिलाओं के योगदान को बढ़ावा देना है।"
आर्य ने कहा," हमारा मुख्य फोकस साइंसटिफिक इनोवेशंस के प्रसार और सतत विकास हासिल करने के लिए महिलाओं की पहुंच को प्रोत्साहित करना है।"
एक्सपो डीएसटी, डीबीटी, सीएसआईआर, आयुष और विभिन्न महिला स्टार्टअप्स के साथ-साथ देश भर के वैज्ञानिकों से महिलाओं के अनुकूल प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेगा।
ओपन फोरम सत्र युवा शोधकर्ताओं और महिला प्रतिभागियों को ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षाविदों, उद्यमियों और महिला किसानों के साथ बातचीत करने का अवसर देगा।
यह भी पढ़ें
जामा मस्जिद में लड़कियों की एंट्री पर लगा बैन हटा, शाही इमाम ने कहा- LG के अनुरोध पर लिया फैसला
'श्रद्धा की मौत लव जिहाद नहीं.. मर्दों के दिमाग में महिलाओं पर जुल्म करने की बीमारी का नतीजा'