Parliament Winter Session: सरकार ने कहा-किसी भी किसान की मौत नहीं हुई, इसलिए मुआवजे का सवाल ही नहीं उठता

संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) के तीसरे दिन 1 दिसंबर की सुबह संसद के कमरा नंबर 59 में आग लग गई। हालांकि कोई नुकसान नहीं हुआ है। इधर, 12 MPs के निलंबन को लेकर आज भी विपक्ष ने प्रदर्शन किया। वहीं, सरकार ने कहा कि आंदोलन के दौरान किसी भी किसान की मौत नहीं हुई, इसलिए मुआवजे का सवाल ही नहीं उठता।

नई दिल्ली.संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) के तीसरे दिन 1 दिसंबर की सुबह संसद के कमरा नंबर 59 में अचानक आगजनी की घटना हो गई। हालांकि इसमें कोई नुकसान नहीं हुआ है। मौके पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचीं और आग बुझाई। इस बीच सदन में आज भी 12 MPs के निलंबन को लेकर हंगामे के आसार हैं। बता दें कि मानसून सत्र(monsoon session) के दौरान राज्यसभा में मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की और गदर मचाने वाले 12 सांसदों को शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) के पहले ही दिन यानी 29 नवंबर को उस गलती की सजा मिल गई थी। उन्हें बाकी बचे पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। इसके खिलाफ विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल रखा है। उनके निलंबन को लेकर विपक्ष ने दूसरे दिन सदन से वॉकआउट कर दिया था।

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लोकसभा में लिखित जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मंत्रालय के पास किसान आंदोलन के दौरान किसी किसान की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे का सवाल नहीं उठता। जबकि किसान संगठन 700 किसानों की मौत का दावा करते रहे हैं।

कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार लगातार किसानों के संपर्क में है। आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच 11 स्तर की बातचीत हुई है। तोमर ने बताया कि सरकार ने कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट्स एंड प्राइस की सलाह पर 22 फसलों के MSP घोषित किए हैं।

सांसदों के निलंबन के विरोध में विपक्ष के भारी हंगामे के चलते लोकसभा 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। स्पीकर ओम बिरला ने सांसदों के इस व्यवहार पर कड़ी नाराजगी जताई और वे कुर्सी छोड़कर उठ गए। उनका कहना था कि सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है, लेकिन आप चर्चा के लिए तैयार ही नहीं हैं। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस और डीएमके सांसदों ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया है। लोकसभा में We Want Justice के नारे लगते रहे।

राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने खड़े होकर विरोध प्रदर्शन किया।

सांसदों के निलंबन के मामले में आगे की रणनीति तय करने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। विपक्ष निलंबन वापसी की मांग पर अड़ा है। जबकि सत्तापक्ष का तर्क है कि सांसद अगर माफी मांग लेते हैं, तो निलंबन वापस लिया जा सकता है।

30 नवंबर को नेताओं के आए थे ये बयान
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था-यहां पर ज़मींदारी या राजा नहीं है कि हम बात-बात पर इनके पैर पकड़ें और माफी मांगें। ये ज़बरदस्ती क्यों माफी मंगवाना चाहते हैं। इसे हम बहुमत की बाहुबली कह सकते हैं। ये लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। हमने राज्यसभा के उन 12 विपक्षी सदस्यों का समर्थन करने के लिए लोकसभा से वाकआउट किया है, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। मौजूदा शीतकालीन सत्र से निलंबन की कार्रवाई 'पूर्वव्यापी प्रभाव' की ओर इशारा करती है। माफी क्यों जारी की जानी चाहिए? सरकार का ये नया तरीका है। हमें डराने का, धमकाने का, हमें जो अपनी बात रखने का अवसर मिलता है उसे छीनने का नया तरीका है।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था-पिछली बार सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा की गई हरकत से हम शर्मिंदा हुए। संसद की गरिमा को बरकरार रखने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने पड़ते है और वही किया गया है। इसमें बंगाल भी बदनाम हो रहा है। TMC के नेता त्रिपुरा भी गए वहां भी उन्होंने हुड़दंग मचाया।

12 सांसदों के निलंबन पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था-कल भी हमने उनसे कहा कि आप लोग माफी मांग लीजिए, खेद व्यक्त कीजिए। लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया, साफ इनकार किया। इसलिए मज़बूरी में हमें ये फैसला लेना पड़ा। उन्हें सदन में माफी मांगनी चाहिए।

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Parliament Winter Session:12 MPs के निलंबन पर विपक्ष का वॉकआउट-हम बात-बात पर पैर पकड़ें और माफी मांगें क्यों?


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