सार

मानसून सत्र(monsoon session) के दौरान राज्यसभा में मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की और गदर मचाने वाले 12 सांसदों को शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) के पहले ही दिन यानी 29 नवंबर को उस गलती की सजा मिल गई। अब उनके निलंबन को लेकर विपक्ष ने दूसरे दिन सदन से वॉकआउट कर दिया।

नई दिल्ली.राज्यसभा के 12 सदस्यों को पूरे शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) के लिए निलंबित करने के बाद विपक्ष भड़क उठा है। इसके विरोध में 30 नवंबर को शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष ने 10 बजे सरकार को घेरने के मकसद से एक बैठक बुलाई थी। कांग्रेस सहित 14 विपक्षी दलों ने इस निलंबन की निंदा की है। विपक्ष ने सरकार को अधिनायकवादी बताया है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना सहित अन्य विपक्षी दलों ने एक बयान जारी करके इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया था। निलंबन की कार्यवाही सवाल उठाते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह लोकतंत्र का गला घोटने जैसा है। सभी दल इसकी निंदा करते हैं। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने के अनुरोध को खारिज कर दिया।

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UPDATE

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा-यहां पर ज़मींदारी या राजा नहीं है कि हम बात-बात पर इनके पैर पकड़ें और माफी मांगें। ये ज़बरदस्ती क्यों माफी मंगवाना चाहते हैं। इसे हम बहुमत की बाहुबली कह सकते हैं। ये लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। हमने राज्यसभा के उन 12 विपक्षी सदस्यों का समर्थन करने के लिए लोकसभा से वाकआउट किया है, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। मौजूदा शीतकालीन सत्र से निलंबन की कार्रवाई 'पूर्वव्यापी प्रभाव' की ओर इशारा करती है। माफी क्यों जारी की जानी चाहिए? सरकार का ये नया तरीका है। हमें डराने का, धमकाने का, हमें जो अपनी बात रखने का अवसर मिलता है उसे छीनने का नया तरीका है।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा-पिछली बार सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा की गई हरकत से हम शर्मिंदा हुए। संसद की गरिमा को बरकरार रखने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने पड़ते है और वही किया गया है। इसमें बंगाल भी बदनाम हो रहा है। TMC के नेता त्रिपुरा भी गए वहां भी उन्होंने हुड़दंग मचाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में राजनाथ सिंह, अमित शाह और नरेंद्र सिंह तोमर सहित शीर्ष मंत्रियों के साथ जारी शीतकालीन सत्र की रणनीति पर चर्चा के लिए एक बैठक की।

12 सांसदों के निलंबन पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा-कल भी हमने उनसे कहा कि आप लोग माफी मांग लीजिए, खेद व्यक्त कीजिए। लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया, साफ इनकार किया। इसलिए मज़बूरी में हमें ये फैसला लेना पड़ा। उन्हें सदन में माफी मांगनी चाहिए।

सत्र शुरू होने से पहले केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा-जिन भी मुद्दों पर विपक्ष बहस या चर्चा चाहता है, उसके लिए सरकार तैयार है। उसके लिए नोटिस दिया जाता है। सरकार ने तो कभी कहा ही नहीं कि हम चर्चा नहीं करने देंगे।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-जिस मुद्दे पर 12 सांसदों को निलंबित किया गया है, वो मुद्दा पिछले सत्र का है, शीतकालीन सत्र में इसे उठाकर निलंबन इसलिए किया गया है कि विपक्षी पार्टियों द्वारा उनकी पोल न खोल दी जाए।

लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा-सत्र को बहिष्कार किए जाने को लेकर मेरे पास कोई जानकारी नहीं है। 12 सांसदों के निलंबन को लेकर बैठक है। जो भी निर्णय इस बैठक के बाद लिया जाएगा उसे हम मानेंगे।

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इस वजह से किए गए निलंबित
राज्यसभा के 254वें सत्र (मानसून सत्र 2021) के दौरान अमर्यादित आचरण करने वाले कांग्रेस (Congress) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्य शीतकालीन सत्र की बची हुई अवधि में निलंबित रहेंगे। उपसभापति हरिवंश (Harivansh) की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी। मानसून सत्र में हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही को 8 दिन पहले ही खत्म करना पड़ा था। राज्यसभा में मानसून सत्र में 25 बिल पास हुए थे। इसमें कृषि से संबंधित तीन और श्रम सुधार से जुड़े तीन बिल शामिल थे। 

इन्हें किया गया निलंबित
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम को निलंबित किया गया है। 

लोकसभा में पेश हो सकता है सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक, 2020
इधर,  लोकसभा में आज स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Health Minister Mansukh Mandaviya) सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक, 2020 (The Assisted Reproductive Technology (Regulation) Bill, 2020) पेश कर सकते हैं. संसद में पारित हो जाने एवं इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद केन्‍द्र सरकार इससे संबंधित अधिसूचना जारी करेगी। इसके बाद राष्‍ट्रीय बोर्ड का गठन होगा।

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