सार
तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द होने के बावजूद आंदोलन पर डटे किसान अब घर वापसी पर विचार कर रहे हैं। अपनी आलोचना होते देखकर किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म करने की तैयारी कर ली है। इस पर अंतिम फैसला 1 दिसंबर को होगा। पढ़िए पिछले कुछ दिन में क्या घटनाक्रम हुआ...
नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र(winter session of parliament) 29 नवंबर से शुरू हुआ। सदन में पहले ही दिन तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द करने वाला बिल पास करा दिया। बावजूद किसान नेता राकेश टिकैत आंदोलन पर अड़े हुए हैं। हालांकि उनके इतर 32 किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म करने की तैयारियां कर ली हैं। इस संबंध में 1 दिसंबर को अंतिम फैसला होगा। 29 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर 32 किसान संगठनों की बैठक में इस पर विचार विमर्श किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के 42 लोगों की कमेटी की इमरजेंसी मीटिंग अब 1 दिसंबर को ही होगी, जिसमें आंदोलन खत्म करने पर फैसला होगा। पहले यह मीटिंग 4 दिसंबर को होने वाली थी। पंजाब के किसान नेता हरमीत कादियां ने कृषि कानून रद्द होने को अपनी जीत बताया। साथ ही यह भी कहा कि अब आंदोलन जारी रखने को कोई बहाना नहीं है। (आंदोलन के दौरान का एक पुराना फोटो)
सदन में यह हुआ
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh Tomar) ने कृषि कानून समाप्त करने वाले विधेयक 2021 को दोनों सदनों में पेश किया। उन्होंने राज्यसभा में कहा- सरकार और विपक्षी दल दोनों ही इन कानूनों की वापसी चाहते हैं इसलिए इस विधेयक पर चर्चा की जरूरत नहीं है। बिना चर्चा के विधेयक पारित कराने का विरोध करते हुए कांग्रेस (Congress)नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Choudhury) ने कहा कि आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस विधेयक को चर्चा के बाद पारित कराने की बात कही गई, लेकिन इस पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है? राज्यसभा में नेता प्रतिपज्ञ मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- एक साल तीन महीने बाद आपको ज्ञान प्राप्त हुआ और आपने कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया।
19 नवंबर को हुई थी कृषि कानून रद्द करने की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरुनानक देवजी की 552वीं जयंती(Guru Nanak Jayanti 2021) पर 19 नवंबर को तीनों कृषि कानून(AgricultureBill) रद्द करने का ऐलान किया था।
इससे पहले किसान संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही संसद भवन तक ट्रैक्टर मार्च का ऐलान कर चुके थे, लेकिन बाद में उसे रद्द कर दिया गया। हालांकि 20 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी अगली रणनीति पर मंथन करने सिंघु बॉर्डर पर बैठक की थी। संयुक्त किसान मोर्चा ने मोदी के कृषि कानून निरस्त करने के ऐलान का स्वागत किया था, लेकिन यह भी कहा कि संसद में औपचारिक रूप से कानून रद्द किया जाए। MSP बनाई जाए और बिजली संसोधन बिल वापस लिया जाए। अब जबकि दोनों सदनों में किसान कानून निरस्त करने का बिल पास हो चुका है, किसान आंदोलन जारी रखने का कोई औचित्य नहीं बनता था। लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत का बयान आया था कि अब MSP पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि वे 4 दिसंबर को एक बैठक करेंगे, जिसमें आंदोलन की अगली रणनीति तैयार होगी। यानी आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा। लेकिन अब यह बैठक 1 दिसंबर को होने जा रही है।
27 नवंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर(Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने किसान आंदोलन के औचित्य पर सवाल उठाए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था-किसान संगठनों ने पराली जलाने पर किसानों को दंडनीय अपराध से मुक्त किए जाने की मांग की थी। भारत सरकार ने यह मांग को भी मान लिया है। तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा के बाद मैं समझता हूं कि अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता है, इसलिए मैं किसानों और किसान संगठनों से निवेदन करता हूं कि वे अपना आंदोलन समाप्त कर, अपने-अपने घर लौटें।
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