दिल्ली में एक और शाहीन बाग, अब CAA के खिलाफ जाफराबाद में प्रदर्शन करने बैठीं महिलाएं

दिल्ली के शाहीन बाग के बाद अब नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ जाफराबाद में महिलाएं प्रदर्शन करने बैठ गई हैं। प्रदर्शनकारियों में महिलाओं के साथ बच्चे भी शामिल हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 23, 2020 4:01 AM IST / Updated: Feb 23 2020, 09:58 AM IST

नई दिल्ली. दिल्ली के शाहीन बाग के बाद अब नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ जाफराबाद में महिलाएं प्रदर्शन करने बैठ गई हैं। प्रदर्शनकारियों में महिलाओं के साथ बच्चे भी शामिल हैं। ये लोग जाफराबाद मेट्रो स्टेडियम के बाहर प्रदर्शन करने बैठे हैं। उधर, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर का दावा है कि इन प्रदर्शनकारियों को उनका समर्थन है।

उधर, प्रदर्शन को देखते हुए जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के एंट्री और एग्जिट दरवाजे बंद कर दिए गए हैं। यहां बड़ी संख्या में सुरक्षाबल भी तैनात किए गए हैं। 

भीम आर्मी ने बुलाया भारत बंद
भीम आर्मी ने पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रविवार को भारत बंद बुलाया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकारें सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं हैं।

15 दिसंबर से ही विरोध प्रदर्शन हो रहा है शाहीन बाग में 
15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं। दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग का मुद्दा जोरों पर था। प्रदर्शनकारियों ने रास्ता भी रोक रखा है।

SC ने शाहीन बाग में रास्ता खुलवाने के लिए मध्यस्थता कमेटी बनाई
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में रास्ता खुलवाने के लिए प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए 2 सदस्यों की कमेटी भी बनाई है। इसमें वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन शामिल हैं। दोनों ने शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बात भी की है। साथ ही भरोसा दिलाया है कि वे उनकी बात सुप्रीम कोर्ट और सरकार तक पहुंचाएंगे।

क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन विधेयक को 10 दिसंबर को लोकसभा ने पारित किया। इसके बाद राज्य सभा में 11 दिसंबर को पारित हुआ। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर को यह विधेयक कानून बन गया। इस कानून के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता के लिए संबंधित शख्स 6 साल पहले भारत आया हो। इन देशों के छह धर्म के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुला। ये 6 धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी हैं।

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