अयोध्या फैसले में शामिल जस्टिस नजीर को कट्टरपंथी संगठन से जान को खतरा, जेड सिक्योरिटी मिली

केंद्र सरकार ने कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की धमकी के मद्देनजर जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिवार को जेड सिक्योरिटी देने का फैसला किया है। जस्टिस एस अब्दुल नजीर अयोध्या पर फैसला सुनाने वाली 5 जजों की बेंच में शामिल थे। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2019 12:58 PM IST / Updated: Nov 17 2019, 06:35 PM IST

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की धमकी के मद्देनजर जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिवार को जेड सिक्योरिटी देने का फैसला किया है। जस्टिस एस अब्दुल नजीर अयोध्या पर फैसला सुनाने वाली 5 जजों की बेंच में शामिल थे। 

सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी थी कि जस्टिस नजीर को कट्टरपंथी संगठन पीएफआई और अन्य संगठनों से खतरा है। इसके बाद गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस को जस्टिस नजीर और उनके परिवार को सुरक्षा देने के लिए कहा है। 

तुरंत मुहैया कराई जाएगी सुरक्षा
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक,  सिक्योरिटी एजेंसियों ने बताया कि जस्टिस नजीर और उनके परिवार पर खतरे को देखते हुए सुरक्षाबल बेंगलुरु और पूरे देश में उनके परिवार को तुरंत सुरक्षा मुहैया कराएंगे। 

कर्नाटक कोटा से दी जाएगी जेड सिक्योरिटी
जस्टिस नजीर बेंगलुरु, मंगलुरु या कहीं भी राज्य में जाते हैं तो कर्नाटक कोटा से दी गई जेड सिक्योरिटी उनके साथ रहेगी। इसी तरह उनके परिवार के सदस्यों को भी जेड सिक्योरिटी दी जाएगी। एक व्यक्ति की जेड सुरक्षा में 22 पैरामिलिट्री जवान और एक पुलिस एस्कॉर्ट तैनात रहती है। 

9 नवंबर को फैसला सुनाने वाली बेंच में शामिल थे जस्टिस नजीर
9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का हक बताया था। साथ ही मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन मुस्लिम पक्ष को देने की बात कही थी। इस फैसले को सुनाने वाली बेंच में जस्टिस नजीर भी शामिल थे। वे 2017 में ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक बताने वाली बेंच का भी हिस्सा थे। जस्टिस नजीर 2003 में कर्नाटक हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज बने थे। इसके बाद 17 फरवरी 2017 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। 

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