
Sudhir Para Powerlifter. बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स के पारा पावरलिफ्टिंग मुकाबले में भारत के सुधीर लाठ ने गोल्ड मेडल जीता है। कॉमनवेल्थ गेम्स में इतिहास रचने वाले सुधीर बचपन में ही पोलियो का शिकार हो गए थे। सिर्फ 5 साल की उम्र में वे पोलियो का शिकार हो गए और पूरे जीवन भर के लिए दिव्यांग हो गए। शुरूआती समय में तो वे कुछ नहीं कर पाए लेकिन बाद में खुद को फिट रखने के लिए स्पोर्ट्स से जुड़ गए। अब उन्होंने गोल्ड जीतकर देश का नाम रोशन किया है।
कैसे बने स्ट्रांग मैन ऑफ इंडिया
सुधीर लाठ हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले हैं। वे किसान परिवार में पैदा हुए लेकिन 5 साल की उम्र में ही पोलियो का शिकार हो गए। 2019 में हुए पारा गेम्स में उन्होंने कांस्य पदक जीता। 2021 में एशिया ओसियाना ओपन पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भी उन्होंने ब्रांज मेडल जीता। सुधीर को दो बार स्ट्रांग मैन ऑफ इंडिया का खिताब मिल चुका है। 18 साल की उम्र से प्रैक्टिस शुरू करने वाले सुधीर ने केवल 3 साल की मेहनत में वे नेशनल चैंपियन बन गए। वे लगातार 7 साल से नेशनल चैंपियन हैं।
रोजाना 5 किलो दूध पीते हैं सुधीर
हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले सुधीर लाठ चार भाई हैं। इनके पिता सीआईएसएफ जवान राजबीर सिंह का 4 साल पहले ही निधन हो चुका है। सुधीर ने हमेशा देशी खानपान को ही अपनाया है और वे रोजाना 5 किलो दूध का सेवन करते हैं। पांच किलो दूध के साथ चना और बादाम खाकर उन्होंने खुद फिट रखा है। सुधीर पारा खिलाड़ी बीरेंद्र धनखड़ के जीवन से प्रेरित होकर पावरलिफ्टिंग स्पोर्ट्स में आए।
वेटलिफ्टिंग के कोच भी हैं सुधीर
सुधीर वर्तमान में हरियाणा सरकार के लिए वरिष्ठ कोच की भूमिका निभाते हैं। उन्हें 2018 में 17वीं सीनियर और 12वीं जूनियर नेशलन पारा पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्ट्रांग मैन ऑफ इंडिया से पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। कॉमनवेल्थ गेम्स के पारा इवेंट्स में यह भारत का पहला पदक है।
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