विश्व चैम्पियनशिप में बजरंग और विनेश पर उम्मीदों का भार

विश्व चैम्पियनशिप से पहले बजरंग पूनिया और विनेश फोगट का प्रदर्शन शानदार रहा है जबकि दिव्या काकरान भी कुछ अच्छे नतीजों से आत्मविश्वास से भरी होंगी। बजरंग ने इस सत्र की सभी चार प्रतिस्पर्धाओं - डैन कोलोव, एशियाई चैम्पियनशिप अली अलीव और यासर डोगू - में जीत दर्ज की है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 13, 2019 11:32 AM IST

नूर-सुल्तान. भारत के शीर्ष पहलवानों के लिये यहां शनिवार से शुरू हो रही विश्व चैम्पियनशिप में असली परीक्षा होगी क्योंकि इसमें वे प्रतिष्ठा की ही नहीं बल्कि तोक्यो ओलंपिक क्वालीफिकेशन की भी उम्मीद लगाये होंगे। विश्व चैम्पियनशिप से पहले बजरंग पूनिया और विनेश फोगट का प्रदर्शन शानदार रहा है जबकि दिव्या काकरान भी कुछ अच्छे नतीजों से आत्मविश्वास से भरी होंगी। बजरंग ने इस सत्र की सभी चार प्रतिस्पर्धाओं - डैन कोलोव, एशियाई चैम्पियनशिप अली अलीव और यासर डोगू - में जीत दर्ज की। वह विश्व चैम्पियनशिप के 65 किग्रा वर्ग में दुनिया के नंबर एक और शीर्ष वरीय पहलवान के तौर पर मैट में उतरेंगे।


नई वेट कैटेगरी में उतरेंगी विनेश 
विनेश ने नये वजन वर्ग से सत्र की शुरूआत की जिसमें उन्होंने 50 से 53 किग्रा में खेलने का फैसला किया। हालांकि उन्होंने इस नये वजन वर्ग सांमजस्य बिठाने के लिए कुछ समय लिया लेकिन फिर भी वह पांच फाइनल तक पहुंची जिसमें उन्होंने तीन स्वर्ण पदक - यासर डोगू, स्पेन में ग्रां प्री और पोलैंड ओपन - जीते। विनेश के लिये कौशल संबंधित कोई मुद्दा नहीं है। लेकिन मजबूत प्रतिद्वंद्वी को छह मिनट तक पकड़कर रोके रखना एक बड़ी चुनौती है जिसे उसने हाल में यह बात स्वीकार भी की थी। इस संबंध में बड़े स्तर की प्रतियोगिता उन्हें इसका आकलन करने में मदद करेगी क्योंकि इस पहलवान की निगाहें पहले विश्व पदक पर लगी हैं। पिछले साल कोहनी की चोट के कारण उन्हें बुडापेस्ट चैम्पियनशिप से बाहर होने के लिये मजबूर होना पड़ा था।

लेग डिफेंस बन सकता है बजरंग की परेशानी 
विश्व चैम्पियनशिप में भारत की किसी महिला पहलवान ने स्वर्ण पदक नहीं जीता है और विनेश के पास भारत के सूखे को समाप्त करने का मौका होगा। वहीं बजरंग अपनी सर्वश्रेष्ठ फार्म में हैं लेकिन उनके लिये एक चीज परेशानी का कारण बन सकती है और वो है उनका कमजोर ‘लेग डिफेंस’। इससे उनके लिये निश्चित रूप से यह कड़ी परीक्षा हेागी। सिर्फ सुशील कुमार ने कुश्ती के इतिहास में भारत को पुरूष फ्रीस्टाइल में विश्व खिताब दिलाया है और अब बजरंग दूसरे पदक के लिये भारत के इंतजार को खत्म करने के लिये बेताब होंगे। पच्चीस वर्षीय पहलवान के ने दो विश्व चैम्पियनशिप पदक हासिल किये हैं लेकिन वह स्वर्ण पदक नहीं जीत पाये हैं। हालांकि उन्हें इसके लिये कई चुनौतियों से जूझना होगा जिसमें रूस के गदजिमुराद राशिदोव और बहरीन के हाजी मोहम्मद अली शामिल हैं।

खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं पदक विजेता 
दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील पिछले कुछ समय से जूझ रहे हैं और आठ साल बाद विश्व चैम्पियनशिप में वापसी कर रहे हैं। 74 किग्रा में उनके प्रदर्शन पर सभी की नजरें लगी होंगी क्योंकि पिछले कुछ समय से उनके प्रदर्शन पर चर्चा हो रही है। सुशील की तहर ही रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जूझ रही हैं। उन्होंने 2017 राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप जीतने के बाद से कोई खिताब नहीं जीता है। इस सत्र में डैन कोलोव पर उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दूसरा स्थान रहा था। उन्होंने विश्व चैम्पियन पेट्रा ओली को हराकर उलटफेर करते हुए रजत पदक हासिल किया। वह लंबे समय से दबाव को झेलने में सहज नहीं हो पा रही हैं। बाउट के अंतिम क्षणों में रक्षात्मक होना उसके लिये मददगार नहीं हो रहा है, जिसके कारण वह कई बार अच्छी स्थिति के बावजूद हार गयी।वहीं दिव्या काकरान में काफी स्फूर्ती है और वह अपने मुकाबलों में अडिग रहती है। उन्होंने इस सत्र में दो स्वर्ण और इतने ही कांस्य पदक जीते हैं।

बहुत कुछ ड्रा और भाग्य पर करेगा निर्भर 
पूजा ढांडा पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली केवल चौथी भारतीय महिला पहलवान बनीं। वह 57 किग्रा में स्थान पक्का नहीं कर सकीं जो ओलंपिक वर्ग हैं। लेकिन अब वह 59 किग्रा में दूसरा पदक हासिल करना चाहेंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रायल्स में पूजा को चौंकाने वाली सरिता मोर कैसा प्रदर्शन करती हैं। पुरुष फ्रीस्टाइल पहलवानों में दीपक पूनिया कुछ उलटफेर करने में सक्षम है। वह 18 साल की उम्र में भारत के पहले जूनियर विश्व चैम्पियन बनने के बाद यहां पहुंचे हैं। उन्होंने ट्रायल में अपने सीनियर पहलवानों को पछाड़ा। अब सीनियर स्तर में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिये उनके पास अच्छा मौका होगा। गुरप्रीत सिंह (77 किग्रा) और हरप्रीत सिंह (82 किग्रा) ग्रीको रोमन में भारत की सर्वश्रेष्ठ उम्मीद होगी। हालांकि भारत के राष्ट्रीय ग्रीको रोमन कोच हरगोविंद सिंह का कहना है कि बहुत कुछ ड्रा और भाग्य पर निर्भर करेगा। चैम्पियनशिप से तीनों शैलियों के छह वर्गों में छह ओलंपिक कोटे मिलेंगे।

टीम : (पुरूष फ्रीस्टाइल): रवि कुमार (57 किग्रा), राहुल अवारे (61 किग्रा), बजरंग पूनिया (65 किग्रा), करण (70 किग्रा), सुशील कुमार (74 किग्रा), जितेंदर (79 किग्रा), दीपक पूनिया (86 किग्रा), परवीन (92 किग्रा), मौसम खत्री (97 किग्रा) और सुमित मलिक (125 किग्रा)।

(पुरूष ग्रीको रोमन): मंजीत (55 किग्रा), मनीष (60 किग्रा), सागर (63 किग्रा), मनीष (67 किग्रा), योगेश (72 किग्रा), गुरप्रीत सिंह (77 किग्रा), हरप्रीत सिंह (82 किग्रा), सुनील कुमार (87 किग्रा), रवि (97 किग्रा) और नवीन (130 किग्रा)।

(महिला फ्रीस्टाइल): सीमा (50 किग्रा), विनेश फोगट (53 किग्रा), ललिता (55 किग्रा), सरिता (57 किग्रा), पूजा ढांडा (59 किग्रा), साक्षी मलिक (62 किग्रा), नवजोत कौर (65 किग्रा), दिव्या काकरान (68 किग्रा), कोमल भगवान गोले (72 किग्रा) और किरण (76 किग्रा)।
(नोट- यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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