Tokyo Olympics 2020: लवलीना ने जीता ब्रॉन्ज मेडल, पिता बोले- बहुत उदास है मेरी बेटी, ये था उसका सपना

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में महिलाओं के वेल्टरवेट (64-69 किग्रा) वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohai) के पिता ने कहा कि उनकी बेटी का सपना टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का था। अभी दुखी होगी क्योंकि उसका पूरा नहीं हुआ। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 4, 2021 9:08 AM IST / Updated: Aug 04 2021, 02:41 PM IST

स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक 2020  में अबतक भारत के खाते में 2 ब्रॉन्ज और एक सिल्वर मेडल आ चुका है। तीसरा मेडल भारतीय मुक्केबाज लवलीना ने बुधवार को हासिल किया। लेकिन अपनी जीत से वह ज्यादा खुश नहीं हैं। दरअसल, लवलीना के पिता टिकेन बोरगोहेन (Tiken Borgohain) ने कहा है कि उनकी बेटी का सपना टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का था। बता दें कि महिलाओं के वेल्टरवेट (64-69 किग्रा) वर्ग के सेमीफाइनल में लवलीना को तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्हें कांस्य पदक से ही संतुष्ट होना पड़ा।

मीडिया से बात करते हुए लवलीना के पिता ने बताया कि 'मैं उसके कांस्य पदक से खुश हूं। मैं उसका मैच लाइव नहीं देखता। मैं उसे लेने के लिए गुवाहाटी हवाई अड्डे पर जाऊंगा।" मैं उससे बाद में बात करूंगा। वह मैं अभी दुखी होगी क्योंकि उसका सपना स्वर्ण पदक जीतने का था।' 

वहीं, लवलीना ने अपने मुकाबले के बाद कहा कि 'निश्चित रूप से अच्छा नहीं लग रहा है, क्योंकि मैं मैच हार गई हूं। हर बार मुझे कांस्य से संतोष करना पड़ता है इसलिए मुझे इसके बारे में बुरा लग रहा है।' हालांकि, उन्होंने कहा कि 'मेडल, मेडल होता है, भले ही वह ओलंपिक हो या इंटर डिस्ट्रिक्ट। मैंने गोल्ड के लिए तैयारी की थी और मुझे 100% यकीन था कि मैं इस बार गोल्ड मेडल हासिल करुंगी।'

अपने ओलंपिक सपने के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि, 'जब से मैंने मुक्केबाजी शुरू की है, मैंने हमेशा ओलंपिक में खेलने और यहां गोल्ड जीतने का सपना देखा है। मैं ओलंपिक के बारे में सोचकर हर काम और ट्रेनिंग करती थी। मुझे फिलहाल अच्छा लग रहा है कि एक पदक ओलिंपिक में आया, लेकिन  मेरी उम्मीदें पूरी नहीं हुईं।' बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के साथ ही लवलीना विजेंदर सिंह और मैरी कॉम के बाद ओलंपिक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज बन गईं। इतना ही नहीं वह 125 साल के इतिहास में मेडल हासिल करने वाली पहली असम की महिला हैं।

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