यह घटना साम्प्रदायिक सौहार्द्र की अनोखी कहानी बयां करती है। बेशक गाय हिंदू धर्म में पूज्यनीय है, लेकिन इसे लेकर राजनीति भी खूब होती रही है।
अमरेली, गुजरात. यह साम्प्रदायिक सौहार्द्र की भावुक कर देने वाली कहानी है। अपने हिंदू मित्र के असमय निधन पर उसे श्रद्धांजलि देने एक मुस्लिम दोस्त ने मकर संक्रांति पर गायों की सेवा की। उसने अपनी जमीन पर लगी घास काटकर बेचने के बजाय गायों को खिला दी। इस घास की कीमत करीब 25 हजार रुपए होगी।
दोस्त की मौत ने किया अकेला..
यह हैं बशीर इन्होंने 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति पर सावरकुंडला में गायों को 650 किलो घास खिलाई। यह उन्होंने अपने मित्र को श्रद्धांजलि देने के मकसद से किया। जिसका कुछ समय पहले ही निधन हो गया था। बशीर के साथ उनके कई मुस्लिम दोस्त भी थे। बशीर और उनके ब्राह्मण दोस्त नीलेश मेहता एक-दूसरे को भाई की तरह मानते थे। वे बहुत पुराने दोस्त थे। दरअसल, नीलेश की मौत के बाद बशीर ने पंडित से पूछा था कि वो उसे श्रद्धांजलि देना चाहता है। तब पंडित ने कहा कि गोसेवा से अच्छी सेवा कोई नहीं। इसके बाद बशीर ने गायों को घास खिलाई।
बशीर के पास करीब 6 एकड़ जमीन है। इसमें से आधी में वो घास उगाकर बेचता है। बशीर ने करीब 25 हजार रुपए की घास गायों को खिलाई। बशीर ने बताया कि घास काटने के लिए भी उसने किसी मजदूर की मदद नहीं ली। उसने खुद अकेले घास काटी। बशीर का खेत नगर निगम के आफिस के सामने है। नीलेश इसी दफ्तर में अस्थायी जॉब करता था।
अमरेली जिले के ब्रह्मा समाज के उपाध्यक्ष पराग त्रिवेदी ने कहा कि बशीर ने दोस्ती की अनूठी मिसाल पेश की है। वहीं बशीर के एक अन्य मित्र महबूब कादरी ने कहा कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।