महामारी के असली हीरो: कोरोना ने छीना इकलौता बेटा, अब माता-पिता FD तोड़कर बचा रहे दूसरों की जिंदगी

पिछले साल रसिक मेहता और कल्पना मेहता के इकलौते जवान बेटे को कोरोना ने छीन लिया था। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि अब वह अपने होते हुए किसी और का बेटा इस महामारी की वजह से नहीं मरने देंगे। उनका कहना है कि जो उनके साथ हुआ भगवान वैसा किसी और के साथ नहीं करे। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 25, 2021 10:42 AM IST / Updated: Apr 25 2021, 04:50 PM IST

अहमदाबाद (गुजारत). कोरोना वायरस इस कदर कहर बरपा रहा है कि इसकी चपेट में आने से कई परिवार उजड़ गए हैं। वहीं कई परिवारों को ऐसा दर्द दिया है जो शायद पूरी जिंदगी नहीं भरेगा। लेकिन इसके बाद भी कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनों को खोने के बाद भी दूसरी की जिंदगी बचाने में लगे हुए हैं। उनकी आंखों में आंसू हैं, लेकिन चुनौतियों के बीच भी दूसरों को हौसला दे रहे हैं। वह नहीं चाहते कि जो हमारे साथ हुआ वो दर्द किसी और को मिले। इसके लिए उन्होंने अपना सबकुछ समर्पित कर दिया है। पढ़िए ऐसी की दिल को झकझोर देने वाली कहानी....

इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे पति-पत्नी
दरअसल, महामारी के दौर में अहमदाबाद के रहने वाले रसिक मेहता और उनकी पत्नी कल्पना इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं। दंपत्ति पिछल एक साल से उन लोगों की मदद कर रहे हैं, जो महामारी की चपेट में आकर जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। इसके लिए वह लाखों रुपए खर्ज कर संक्रमित मरीजों का अपने पैसे से इलाज कराते हैं। वह अब तक 200 आइसोलेट मरीजों को कोरोना किट उपलब्ध करा चुके हैं।

बेटे की एफडी भी तुड़वाकर कर रहे दूसरों की मदद
बता दें कि पिछले साल रसिक मेहता और कल्पना मेहता के इकलौते जवान बेटे को कोरोना ने छीन लिया था। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि अब वह अपने होते हुए किसी और का बेटा इस महामारी की वजह से नहीं मरने देंगे। उनका कहना है कि जो उनके साथ हुआ भगवान वैसा किसी और के साथ नहीं करे। इसलिए वह गरीब लोगों की सेवा करने में जुटे हुए हैं। दंपत्ति ने दूसरों की मदद के लिए अपने बेटे की 15 लाख रुपए की एफडी भी तुड़वा दी। ताकि समय पर किसी को इलाज नसीब हो सके। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी एक कार ऐंबुलेंस बनाकर सेवा में लगा दी है।

गरीबों को अपने पैसे से लगवाते हैं वैक्सीन
रसिक मेहता और उनकी पत्नी कल्पना अहदाबाद की सड़कों पर रोज सुबह 7 बजते ही निकल जाते हैं। वह ऐसे लोगों को तलाशते हैं जिनको कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी हो। खासकर गरीबों और भिखिारियों को अपने पैसे से टीका लगवाते हैं। वह अपनी कार में बैठाकर लोगों को कोविड सेंटर तक ले जाते हैं और उसे वैक्सीन लगवाते हैं। वह अब तक 350 से ज्यादा लोगों को अपने खर्च पर टीका भी लगवा चुके हैं।  

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