SC ने गुजरात दंगों से जुड़े सभी केसों को किया बंद, तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत पर होगी सुनवाई

तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए गलत सबूत जुटाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगे से जुड़े सभी केस बंद करने का फैसला किया है।  

Pawan Tiwari | Published : Aug 30, 2022 3:28 AM IST / Updated: Aug 30 2022, 12:42 PM IST

नई दिल्ली.  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मगंलवार को गुजरात दंगों (Gujarat Riots) से जुड़े मामले में अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने गुजरात दंगे में लगी विभिन्न याचिकाओं में सुनवाई करते हुए इससे जुड़े सभी केस की सुनवाई बंद करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 9 मामलों में से 8 मामलों में फैसला आ चुका है। नरोदा ग्राम मामले में ट्रायल लास्ट स्टेज में है। वहीं, गुजरात में 2002 में हुए दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट जेल में बंद तीस्ता सीतलवाड़ के जमानत याचिका के मामले में भी सुनवाई करेगा। गुजरात सरकार ने तीस्ता की  जमानत का विरोध करते हुए हलफनामा दाखिल किया है।

जांच में सामने आया मामला 
हलफनामे में गुजरात सरकार के द्वारा कहा गया है कि इस मामले की जांच में सीतलवाड़ के खिलाफ कई साक्ष्य मिले हैं। उन्होंने 2002 के सांप्रदायिक दंगों से गलत साबित जुटाए और बेगुनाह लोगों को फंसाने का काम किया।  

सेशन कोर्ट ने जमानत देने से किया था इंकार
बता दें कि 30 जुलाई को सेशन कोर्ट ने को तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था आरोपियों का उद्देश्य गुजरात सरकार को ‘‘अस्थिर करना’’ और राज्य को बदनाम करना था। ऐसे में इन्हें इस मामले में जमानत नहीं दी जा सकती है। 

क्या है आरोप
बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए गलत सबूत जुटाए थे। अब इस मामले में वो जेल में बंद हैं। सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने अब इसी मामले में जमानत याचिका दाखिल की है।  

कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़
तीस्ता सीतलवाड़ का जन्म महाराष्ट्र में 1962 में हुआ। वो मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशट हैं। उनके पिता अतुल सीतलवाड़ वकील थे जबकि उनके दादा देश के पहले अटॉर्नी जनरल थे। उनका नाम  एमसी सीतलवाड़ था। तीस्ता सीतलवाड़ को 2007 में पद्मश्री सम्मान दिया गया था। 2002 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार भी मिल चुका है। अब वो एक समाजिक कार्यकर्ता हैं।

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