इस देवी मंदिर के रहस्य ने उड़ा रखी हैं नासा के वैज्ञानिकों की नींद, शक्तियां देख सब हैरान

देवी जी का यह मंदिर उत्तराखंड की अल्मोड़ा पहाड़ियों पर है, जिसको लोग कसारदेवी मंदिर के नाम से जानते हैं। मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 3, 2019 9:46 AM IST / Updated: Oct 03 2019, 03:20 PM IST

नैनीताल (उत्तराखंड). देश में नवरात्रि पर्व की धूम है। यह त्यौहार देवी मां की उपासना का पर्व है। नौ दिन तक चलने वाले पर्व में प्रत्येक दिन देवी के विशेष स्वरूप की उपासना होती है। इसी मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं, एक ऐसे देवी मंदिर के बारे में जिसकी शक्तियों को देख नासा के वैज्ञानिक तक हैरान हैं।

सैकड़ों सीढ़ियां चढ़ने के बाद भी भक्त नहीं थकते हैं
देवी जी का यह मंदिर उत्तराखंड की अल्मोड़ा पहाड़ियों पर है, जिसको लोग कसारदेवी मंदिर के नाम से जानते हैं । लोगों का मनना है कि देवी मां यहां साक्षात् प्रकट हुई थीं। यह भारत का ऐसा पहला स्थान है, जहां चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं। इस जगह के बारे में नासा के वैज्ञानिक भी शोध कर चुके हैं। मंदिर के आसपास कई शक्तियां मौजूद हैं। बताया जाता है कि भक्त यहां की सैकड़ों सीढ़ियां बिना किसी थकावट के ही चढ़ जाते हैं। 

यह पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है
वैज्ञानिक इस मंदिर का रहस्य आज तक नहीं सुलझा पाए हैं। भारत के पर्यावरणविद डॉक्टर अजय रावत ने भी इस जगह पर शोध कर चुके हैं। उन्होंने बताया था कि कसारदेवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है, जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। सोध में पाया गया कि अल्मोड़ा के इस मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं। जानकारो के मुताबिक इसको अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र माना जाता हैं, जहां मानसिक शांति भी महसूस होती है। यहां कई तरह की शक्तियां निहित हैं।

स्वामी विवेकानंद कर चुके हैं यहां साधना
स्थानीय लोगों के मुताबिक, 1890 में स्वामी विवेकानंद ने इस  जगह पर ध्यान लगाया था, उन्होंने कई महीनों यहां बिताए थे। यहां  बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा इन पहाड़ों की गुफा में साधना कर चुके हैं। कई देशों से खासकर इंग्लैंड से विदेशी यहां शांति प्राप्ति के लिए आते हैं और यहां महीनों तक वक्त बिताते हैं।

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