“भारतीय पक्षियों की स्थिति रिपोर्ट 2020” में कहा गया है कि पिछले दशकों में रैप्टर और प्रवासी समुद्री पक्षी आदि सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां आयोजित संयुक्त राष्ट्र के प्रवासी प्रजातियों पर समझौते के पक्षों के 13वें सम्मेलन में सोमवार को रिपोर्ट जारी की गयी।
गांधीनगर. भारतीय पक्षियों पर एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 867 प्रजातियों पर किये गये अध्ययन में 50 प्रतिशत से अधिक की संख्या में दीर्घकालिक तौर पर कमी देखी गयी, वहीं 146 प्रजातियां अल्पकालिक खतरे में हैं।
भारतीय पक्षियों की स्थिति रिपोर्ट 2020 जारी की गई
“भारतीय पक्षियों की स्थिति रिपोर्ट 2020” में कहा गया है कि पिछले दशकों में रैप्टर और प्रवासी समुद्री पक्षी आदि सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां आयोजित संयुक्त राष्ट्र के प्रवासी प्रजातियों पर समझौते के पक्षों के 13वें सम्मेलन में सोमवार को रिपोर्ट जारी की गयी। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘करीब 867 भारतीय प्रजातियों का विश्लेषण यह अच्छी तरह स्पष्ट करता है कि हमारे पक्षियों की संख्या कुल मिलाकर गिरावट की ओर है और कुछ मामलों में यह भयावह तरीके से गिर रही है।’’
रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या में काफी इजाफा हुआ है
दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में 25 साल से अधिक समय के लिए आंकड़ों में देखा गया कि 261 प्रजातियों में से 52 प्रतिशत में कमी आने का पूर्वानुमान है वहीं अल्पकालिक संदर्भ में 146 प्रजातियों में से करीब 80 प्रतिशत गिरावट की ओर हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के प्रमुख जैवविविध क्षेत्र के तौर पर मशहूर पश्चिमी घाटों में पक्षियों की संख्या में 2000 से लेकर करीब 75 प्रतिशत की कमी आई है। रिपोर्ट का सकारात्मक पहलू यह है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार देशभर में गौरैया की तादाद में बहुत ज्यादा अंतर नहीं आया है। हालांकि शहरों में इनकी संख्या में कमी आई है।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)