हार के बाद भी पुष्कर धामी क्यों बनाया गया मुख्यमंत्री, जानिए पीछे की वो 5 वजह, जिससे हाईकमान ने बदला फैसला

चुनावी नतीजों के 11 दिन बाद भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगाई। सोमवार को विधायक दल की बैठक में खटीमा में चुनाव हारने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी को विधायक दल का नेता चुना गया।

देहरादून : उत्तराखंड (Uttarakhand) में लगातार दूसरी बार बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को प्रदेश की बागडोर सौंप दी है। राज्य के अगले मुख्यमंत्री बननने जा रहे पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट सहित बुधवार यानी 23 मार्च को शपथ ग्रहण लेने जा रहे हैं। इस की तैयारियां शुरू हो गई है। शपथ ग्रहण समारोह देहरादून के परेड ग्राउंड में होगा। दोपहर साढ़े तीन बजे पुष्कर सिंह धामी दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार अपनी सीट हारने के बावजूद वह कौन सी बात थी जो पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में गई, जिसके बाद उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया?

धामी के नेतृत्व में रिकॉर्ड जीत
बताया जा रहा है कि 20 मार्च की रात को ही पीएम मोदी के आवास पर चली मैराथन बैठक में धामी के नाम पर मुहर लग गई थी। धामी को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे जो सबसे बड़ी वजह रही वो ये कि उन्हीं के नेतृत्व में बीजेपी ने इतिहास बनाया। राज्य में बीजेपी सत्ता में आई ही वो भी बहुमत के साथ। 70 में से 47 सीट जीतना चुनाव हारने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी के पक्ष में गया।

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साफ-सुथरी छवि
धामी की साफ सुथरी छवि भी दोबारा मुख्यमंत्री बनने की राह को आसान कर गया। वे काफी विनम्र स्वभाव के हैं और जमीनी स्तर से जुड़े हैं। पार्टी का हर कार्यकर्ता उन्हें अपने करीब पाता है। उनकी छवि काफी ईमानदार वाली भी है। अभी तक उनके दामन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं लगा है और ना ही कोई आरोप। यही कारण है कि बीजेपी हाईकमान ने उन्हें राज्य की सत्ता सौंपी है।

RSS से जुड़े हैं धामी
पुष्कर सिंह धामी RSS से जुड़े हुए हैं। दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्हें राज्य के पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का करीबी माना जाता है। कहा जाता है कि वे धर्म और विकास दोनों को साथ-साथ लेकर चलते हैं, यही कारण है कि बीजेपी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है।

पहला कार्यकाल बेहद शानदार
पुष्कर सिंह धामी के पिता सेना में सूबेदार थे। धामी ने लॉ की डिग्री ली है। मुख्यमंत्री बनने से पहले वह कभी मंत्री भी नहीं बने थे। इसके बावजूद पार्टी हाईकमान ने उन पर भरोसा जताया और जिस पर धामी पूरी तरह खरे उतरे। अब एक बार फिर वे राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभालने जा रहे हैं तो उनके कंधे पर जिम्मेदारी भी बड़ी होगी। बीजेपी की 2017 में उत्तराखंड की सत्ता में आने के बाद दो मुख्यमंत्रियों को बदलने के पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंपी गई। चुनाव से पहले धामी को सिर्फ छह महीने का वक्त मिला और इसी कम समय में उन्होंने खुद को साबित कर दिया। उनकी कई योजनाएं चुनाव में बीजेपी के पक्ष में गई।

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जातीय-क्षेत्रीय समीकरण भी धामी के पक्ष में
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि पार्टी हाईकमान ने धामी के जातीय-क्षेत्रीय समीकरण को देखते हुए एक बार फिर उन्हें सत्ता की चाबी सौंपी है। धामी पहाड़ी क्षेत्र के ठाकुर समुदाय से आते हैं। उत्तराखंड में कुमाऊं बनाम गढ़वाल का क्षेत्रीय समीकरण और ठाकुर बनाम ब्राह्मण जातीय समीकरण है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ब्राह्मण हैं, जो गढ़वाल से आते है जबकि सीएम धामी ठाकुर, यह समीकरण बीजेपी के पक्ष में जा सकता है।

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कौन-कौन से गेस्ट होंगे शामिल
बुधवार को पुष्कर सिंह धामी राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर पद एवं गोपनियता की शपथ लेंगे। उनके साथ मंत्रियों को भी शपथ दिलाई जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में शामिल होने देहरादून आ सकते हैं। बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं के आने की भी खबर मिल रही है।

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