Uttrakhand Election 2022: हरक सिंह रावत आज बिना शर्त कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं, पार्टी में विरोध तेज

कांग्रेस से केदारनाथ विधायक मनोज रावत के बाद राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने भी हरक को पार्टी में नहीं लिए जाने की बात कही है। टम्टा ने कहा कि जो लोग आज हरक सिंह रावत को पार्टी में शामिल किए जाने की पैरवी कर रहे हैं, शायद वह साल 2016 की घटना को भूल गए हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jan 19, 2022 5:11 AM IST

देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले सियासत का पारा गरम है। भाजपा के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत आज कांग्रेस में हो सकते हैं। हरक बिना किसी शर्त के कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी रावत को टिकट नहीं देगी, बल्कि बहू के लिए टिकट ले सकते हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो हरक भी बहू को टिकट देने पर रजामंद हैं। इधर, हरक के कांग्रेस में फिर से शामिल होने की खबर के बाद पार्टी के अंदर विरोध शुरू हो गया है।

कांग्रेस से केदारनाथ विधायक मनोज रावत के बाद राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने भी हरक को पार्टी में नहीं लिए जाने की बात कही है। टम्टा ने कहा कि जो लोग आज हरक सिंह रावत को पार्टी में शामिल किए जाने की पैरवी कर रहे हैं, शायद वह साल 2016 की घटना को भूल गए हैं, जब षड्यंत्र के तहत लोकतंत्र की हत्या की गई थी। इस साजिश में शामिल हरक सिंह रावत ने पांच साल सरकार में रहकर कभी भाजपा की गलत नीतियों की आलोचना नहीं की। लेकिन, अब जब उन्हें पार्टी ने निकाल दिया है, तब उन्हें फिर कांग्रेस याद आ रही है। वह जानते हैं कि इस बार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। इसलिए कांग्रेस पार्टी का रुख करना चाहते हैं। हम जनता को क्या जवाब देंगे।

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हरीश रावत से 100 बार माफी मांगना चाहते हैं हरक
इससे पहले हरक सिंह रावत ने हरीश रावत से सौ बार माफी मांगने की इच्छा व्यक्त की थी। सूत्रों के अनुसार, निष्कासित भाजपा नेता को बिना किसी पूर्व शर्त के कांग्रेस में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। उन्हें शांत करने के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। बता दें कि हरीश रावत ने हरक को महापापी बताया था और कहा था कि ऐसे महापाप करने वाले लोगों को माफी मांगनी पड़ेगी।

2017 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे
2017 में चुनाव से पहले हरक सिंह रावत कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने कोटद्वार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। सूत्रों की मानें तो रावत ने हाल के दिनों में कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह के साथ कई बैठकें की हैं। जबकि वह कथित तौर पर कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए भाजपा सरकार द्वारा कथित तौर पर अपने पैर खींचने से परेशान थे।

हरीश रावत ने ये भी कहा...
पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की कांग्रेस में ज्वानिंग नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि पूर्व सीएम हरीश रावत के कारण ऐसा हो रहा है। जबकि हरीश रावत का कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर तो वह उन्हें (डॉ. हरक) बहुत पहले माफ कर चुके हैं, लेकिन यह मामला व्यक्तिगत नहीं है। उन्हें घाव लगा है, इसलिए हो सकता है, वह निष्पक्ष होकर निर्णय नहीं ले पाएं, लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा, वह उसके साथ होंगे। 

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