कभी इस सिंगर के लाइव कन्सर्ट में होती थी पैसों की बारिश, आज बहा रहा बेबसी के आंसू


यह हैं एक समय के जाने-माने पंजाबी सिंगर अवतार चमक! कभी सिंगिंग की फील्ड में सितारों की तरह चमकने वाले 'चमक' इन दिनों गुमनामी और गरीबी की हालत में जिंदगी बसर कर रहे हैं। पत्नी से झगड़े के बाद घर छोड़ना मानों चमक की जिंदगी को बर्बादी के मोड़ पर ले गया।

Asianet News Hindi | Published : Nov 25, 2019 7:04 AM IST / Updated: Nov 25 2019, 12:40 PM IST

बठिंडा(पंजाब).  यह हैं अवतार चमक! ये कभी पंजाब के लोकप्रिय सिंगर हुआ करते थे। लोग इनके लाइव कन्सर्ट में पैसों की बरसात करते थे। लेकिन अब समय एकदम विपरीत हो गया है। न कोई पूछने वाला और न कोई मदद करने वाला। घर की कलह ने जिंदगी में ऐसा डाका डाला कि सबकुछ लुट गया। इन दिनों चमक दाने-दाने को मोहताज हैं। जबकि एक वक्त ऐसा था कि वे लाखों-करोड़ों में खेलते थे। पिछले दिनों आवारा जानवरों से टकराकर उनका पैर टूट गया। चमक के पास इतना पैसा नहीं कि वे अच्छे से इलाज करा सकें। चमक मायूस हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि जिंदगी उनके साथ इतना बुरा कैसे कर सकती है?

एक समय ऐसा था जलवा
चमक रोजी-रोटी के लिए सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे थे। लेकिन पैर टूटने के बाद से घर पर बैठे हुए हैं। दु:खद यह है कि घर भी उनका नहीं है। उन्हें एक बुजुर्ग विधवा महिला ने आश्रय दिया हुआ है। अवतार ने 1979 में सिंगिंग की फील्ड में कदम रखा था। उनके गुरु थे अमर सिंह चमकीला। मार्च 1988 में महसामपुर गांव में आयोजित एक लाइव कन्सर्ट के दौरान अमर सिंह चमकीला और चमक की गुरुमाता दोनों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद चमक ने गुरु के नाम-काम को आगे बढ़ाया। चमक अपने गुरु के समान ही दिखते थे। लिहाजा कुछ समय में ही वे भी लोकप्रिय हो गए। स्थिति यह थी कि कभी-कभी दिन में दो प्रोग्राम तक करते थे। उनकी 72 से ज्यादा कैसेट निकाली गईं। ये सभी काफी पॉपुलर हुईं। चमक की शानो-शौकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब टाटा ने सफारी गाड़ी लांच की, तब पंजाब में सबसे पहली बुकिंग चमक ने ही की थी।

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घरेलू कलह ले आई बर्बादी की राह पर
कहते हैं कि घर की कलह अच्छी-खासी जिंदगी को खत्म कर देती है। चमक के साथ भी ऐसा ही हुआ। पत्नी से विवाद के चलते चमक को घर छोड़ना पड़ा। वे अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते थे। लिहाजा सारी प्रॉपर्टी तक उन्होंने अपनी पत्नी के नाम कर रखी थी। घर छोड़ने के बाद चमक बहादुरगढ़ में अपनी बहन के घर रहने लगे। वहां 4-5 साल रहने के बाद बठिंडा आ गए। लेकिन यहां उनके पास न कोई काम था और न छत। इस दौरान उनका संपर्क दंगा पीड़ितों की कॉलोनी में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला से हुआ। वे उन्हें अपनी मां की तरह मानने लगे और सेवा करने लगे। चमक यहीं रहकर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगे। लेकिन 7 नवंबर को एक्सीडेंट में उनकी टांग टूट गई। उनके विदेशों में रहने वाले कुछ फैन्स ने मदद भेजी, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी। चमक कहते हैं-मेरे लिए यह जिंदगी किसी मौत से कम नहीं है।

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