चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश का दर्ज हासिल है। यह शहर पहले सिर्फ पंजाब की राजधानी हुआ करती थी। 1966 में हरियाणा को अलग राज्य का दर्जा मिलने के बाद हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी बना दिया गया है। दोनों राज्यों की तरफ से समय-समय पर हक के दावे किए जाते रहे हैं।
चंडीगढ़ : पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) की राजधानी चंडीगढ़ (Chandigarh) को लेकर इन दिनों दिल्ली से पंजाब तक सियासी घमासान मचा हुआ है। शुक्रवार को सीएम भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने विधानसभा में चंडीगढ़ पंजाब को देने का प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव के साथ ही सियासी पारा हाई हो गया है। एक तरफ अकाली दल और कांग्रेस सरकार के समर्थन में उतर आई हैं तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मान सरकार का यह प्रस्ताव केंद्र के उस फैसले का काउंटर माना जा रहा है जिसमें चंडीगढ़ के करीब 23 हजार कर्मचारियों को सेंट्रल सर्विस रूल्स के अधीन ले लिया गया है। पहले इन पर पंजाब सिविल सर्विस रूल्स लागू होते थे। लेकिन यह पहली बार नहीं हुआ है जब चंडीगढ़ को लेकर इस तरह की सियासत होती आई है। जानिए दो राज्यों के एक ही राजधानी के पीछे की पूरी कहानी..
कब-कब आया प्रस्ताव
विधानसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) विधायक अमन अरोड़ा की तरफ से जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक इससे पहले चंडीगढ़ पंजाब को देने का प्रस्ताव सदन में छह बार आ चुका है। पहली बार यह प्रस्ताव 18 मई 1967 को लाया गया था। इसके बाद 19 जनवरी 1970, सात सितंबर 1978, 31 अक्टूबर 1985, छह मार्च 1986 और 23 दिसंबर 2014 को लाया गया था।
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क्या है चंडीगढ़ बनने की कहानी
विभाजन से पहले पंजाब की राजधानी लाहौर हुआ करती थी जो बाद में पाकिस्तान (Pakistan) का हिस्सा बन गया। आजादी के बाद चंडीगढ़ देश के सबसे मॉर्डन शहरों में शुमार किया जाता था। इसलिए इसे लाहौर (Lahore) के स्थान पर एक शहर के रुप में विकसित किया गया था। मार्च 1948 में भारत के पंजाब के लिए केंद्र सरकार ने शिवालिक की पहाड़ियों की तलछटी का इलाका नई राजधानी के लिए तय किया। योजना के तहत बसाए गए इस शहर को पंजाब की राजधानी बनाया गया। साल 1952 से 1966 तक यहां किसी तरह की कोई समस्या नहीं थी लेकिन फिर हरियाणा अलग राज्य बना और चंडीगढ़ को दो राज्यों की राजधानी बननी पड़ी।
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दो राज्य लेकिन एक ही राजधानी, क्यों
हरियाणा बनने के बाद चंडीगढ़ को दो राज्यों की राजधानी बनना पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि चंडीगढ़ ही वह इकलौता शहर था, जिसके पास व्यवस्थाओं का पूरा ढांचा था, फिर चाहे वो प्रशासनिक हो या फिर कोई और। इसलिए यह शहर सबसे मुफीद भी था। इसी को देखते हुए इसी शहर को दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया लेकिन यहां की संपत्तियों का 60 फीसदी हिस्सा पंजाब के खाते में गया तो हरियाणा को 40 प्रतिशत हिस्सा मिला। केंद्रशासित प्रदेश के तौर केंद्र के पास भी इस शहर का सीधा नियंत्रण रहा।
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