सार
प्रताप सिंह बाजवा को सोनिया गांधी का जबकि राजा वड़िंग को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है। वहीं, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और सुखजिंदर सिंह रंधावा का पंजाब की कांग्रेस में अपना प्रभाव है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा, इसको लेकर कुछ भी कहना मुश्किल है।
चंडीगढ़ : पंजाब चुनाव में हार के बाद कांग्रेस (Congress) मानो सुस्त पड़ गई है। नतीजे आने के एक-दो दिन तक इस्तीफों और बयानबाजी का दौर चला लेकिन उसके बाद सब ठंडे बस्ते में है। आलम यह है कि सरकार बने इतने दिन होने के बावजूद अभी तक कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है। विधानसभा में विपक्षी दल को कौन लीड करेगा, नाम तय नहीं हो सका। यही कारण है कि पार्टी में लॉबिंग शुरू हो गई है। बता दें कि विधानसभा चुनाव में 18 सीटें जीतकर कांग्रेस विपक्ष में बैठी है।
सिद्धू ने शुरू की लॉबिंग
पार्टी हाईकमान की तरफ से देरी की वजह से अंदरखाने फिर से एक धड़ा एकजुट होने लगा है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) लॉबिंग में जुटे हुए हैं। कांग्रेस के करीबी नेताओं से उनकी मुलाकातों का दौर भी चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिद्धू चाहते हैं कि भुलत्थ सीट से कांग्रेस विधायक सुखपाल खैहरा (Sukhpal Singh Khaira) को विपक्षी दल का नेता चुना जाए।
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ये विधायक बन सकते हैं नेता प्रतिपक्ष
भले ही सिद्धू सुखपाल खैहरा के लिए लॉबिंग कर रहे हो लेकिन चुनाव से पहले उनका कांग्रेस में आना, उनकी दावेदारी को कमजोर बना रहा है। नेता प्रतिपक्ष की रेस में कांग्रेस की तरफ से जिन नेताओं के नाम की चर्चा है उसमें पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa), कादियां विधायक प्रताप सिंह बाजवा (Pratap Singh Bajwa), गिद्दड़बाहा से जीतकर विधानसभा पहुंचे अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग (Amrinder Singh Raja Warring ) और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा (Tripat Rajinder Singh Bajwa) का नाम शामिल है।
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पीसीसी चीफ पर भी पेंच
वहीं, नेता प्रतिपक्ष के साथ ही पीसीसी चीफ के नाम पर भी कांग्रेस असमंजस की स्थिति में दिख रही है। हार के बाद पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने सिद्धू का इस्तीफा भले ही ले लिया लेकिन उसको मंजूर किया या नहीं इसको लेकर कई तरह की बात चल री है। अभी तक कांग्रेस का नया प्रधान भी नहीं चुना गया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी एक बार फिर से सिद्धू को ही कमान सौंप सकती है। लेकिन कुछ जानकार यह भी बता रहे हैं कि पार्टी राज्य के किसी सांसद के हाथों में इसकी बागडोर सौंप सकती है।
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