सार

सिद्धू ने चुनाव हार की जिम्मेदारी नहीं ली। उन्होंने कहा कि चुनाव उनकी नहीं चरणजीत सिंह चन्नी की अगुवाई में लड़ा गया। सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा कि वह सिर्फ पार्टी हाईकमान की इच्छा के कारण पद से इस्तीफा दे रहे हैं।

चंडीगढ़ : पंजाब (Punjab) में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस (Congress) एक बार फिर उठ खड़ी होने को तैयार है। नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के इस्तीफे के बाद पार्टी नए प्रधान की तलाश में जुट गई है। जानकारी मिल रही है कि नए चीफ का ऐलान इसी महीने के आखिरी-आखिरी तक हो जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय करने के लिए पार्टी हाईकमान ने शनिवार को दिल्ली (Delhi) में एक बैठक बुलाई है। जिसमें सभी जनरल सेक्रेटरी और इंचार्ज को आने को कहा गया है। इस बैठक में महासचिव केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) भी मौजूद रहेंगी।

इनके हाथ जा सकती है कमान
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अगर कांग्रेस में प्रियंका गांधी की बात मानी गई तो एक बार फिर सिद्धू पीसीसी चीफ बन सकते हैं लेकिन इसकी संभावना कम ही है। जिन नेताओं के नाम की चर्चा सबसे ज्यादा है, उनमें लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्‌टू (Ravneet Singh Bittu), कादियां से विधायक प्रताप सिंह बाजावा (Pratap Singh Bajwa), पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa), गिद्दड़बाहा से अमरिंदर राजा वड़िंग और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) शामिल हैं। पार्टी इनमें से किसी के हाथ प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप सकती है। 

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इनकी भी छुट्टी तय

जानकारी मिल रही है कि इस हार के बाद पार्टी प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी (Harish Chaudhary) की छुट्‌टी भी कर सकती है। चौधरी के रहते प्रदेश ईकाई में खूब हलचल हुई, बयानबाजी चली लेकिन वे इसको रोकने में असफल रहे। उन्होंने हाईकमान तक सबकुछ ठीक होने का मैसेज पहुंचाया था जिससे डैमेज को कंट्रोल नहीं किया जा सका। कहा जा रहा है कि पार्टी के हाथ से सत्ता जाने के बाद हरीश चौधरी भी पद पर नहीं रहना चाहते। इसलिए पार्टी उनके हटाने पर भी विचार कर सकती है।

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सिद्धू-चन्नी नहीं दिला सके जीत

बता दें कि इस बार के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 18 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। जबकि पिछले चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के नेतृत्व में उसकी झोली में 77 सीटें गई थी। इस बार का चुनाव दलित चेहरा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) की अगुवाई में लड़ा गया। लेकिन खुद सीएम ही अपनी दो-दो सीट हार गए और प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू भी जीत नहीं पाए। वहीं चुनाव के बाद किसी भी नेता ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली उल्टे एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते रहे। जिसको देखते हुए पार्टी ने संगठन में बदलाव का फैसला किया।

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