
चंडीगढ़. पंजाब में अगले साल यानि एक दो महीनों में विधानसभा चुनाव (punjab assembly election 2022) होने वाले हैं। इसी बीच राज्य का सियासी पारा गर्म है, रोजाना एक से बढ़कर एक सियासी धमाका हो रहा है। इसी बीच सियासत से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां सत्ताधारी पार्टी यानि चन्नी सरकार ने अकाली नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया (akali leader bikram majithia) के खिलाफ ड्रग्स मामले में केस दर्ज करा लिया है।
कभी हो सकती है मजीठिया की गिरफ्तारी
दरअसल, बिक्रम मजीठिया के खिलाफ यह एफआईआर सोमवार रात मोहाली के स्टेट क्राइम सेल में दर्ज की गई है। क्योंकि पिछले कई दिनों से मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स केस को लेकर लगातार आरोप लगाए जा रहे थे। अब मीडिया में चर्चा होने लगी है कि अब मजीठिया की गिरफ्तारी किसी भी वक्त हो सकती है। हालांकि, पुलिस ने अब तक इम मामले में कुछ भी नहीं कहा है। यहां तक कि मजीठिया के खिलाफ दर्ज FIR भी सार्वजनिक नहीं की गई है।
सिद्धू ने सीएम चन्नी पर बनाया था दबाव
बता दें कि मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज होते ही पंजाब के सियासत में एक दूसरे खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। चर्चा है कि मजीठिया पर जांच के लिए पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू लगातार मुख्यमंत्री चन्नी पर दबाव बनाए हुए थे। इसलिए उन्हीं के कहने पर यह मामला दर्ज किया गया है। हालांकि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने इस मामले को लेकर चुप्पी साधी हुई है। उनका अभी तक इसको लेकर कोई बयान सामने नहीं आया है।
ADGP हरप्रीत सिद्धू की अगुवाई में तैयार पूरी रिपोर्ट
वहीं, अब AIG के नेतृत्व में बनाई गई SIT बिक्रम मजीठिया के खिलाफ चल रहे ड्रग्स मामले की जांच करेगी। बताया जा रहा है कि AG की रिपोर्ट पर 7 साल पुराने केस की जांच को दोबारा खोला जा रहा है। यह रिपोर्ट ADGP हरप्रीत सिद्धू की अगुवाई में तैयार हुई थी। सिद्धू लगातार उन पर कार्रवाई की बात कह रहे थे। इसी वजह से 4 दिन पहले इकबालप्रीत सहोता को हटाकर पंजाब सरकार ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को कार्यकारी DGP बनाया था।
अकाली नेता ने बताया कि यह मामला झूठा
वहीं इस पूरे मामले में अकाली दल के नेता विरसा सिंह वल्टोहा का कहना है कि मजीठिया को जानबूझकर फंसाया जा रहा है। क्योंकि कुछ दिनों बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसके चलते चन्नी सरकार के पास कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए तो झूठा मामला उठाया जा रहा है। इस केस में पहले ही ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के 4 एडीजीपी ने मना कर चुके थे। लेकिन फिर भी कांग्रेस जबरन बदला लेने के लिए यह सब कर रही है।
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