क्या है खट्कड़ कलां की कहानी जहां शपथ ग्रहण करने जा रहे भगवंत मान, कैसे पड़ा गांव का नाम,जानिए पूरी हिस्ट्री

यह पहला मौका है जब राज्य का कोई मुख्यमंत्री राजभवन की बजाय कहीं और शपथ लेने जा रहा है। शपथ ग्रहण समारोह होशियारपुर जिले में शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खट्कड़ कलां में होने जा रहा है।

चंडीगढ़ : पंजाब (Punjab) के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) थोड़ी देर में शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं। यह पहला मौका है जब राज्य का कोई मुख्यमंत्री राजभवन की बजाय कहीं और शपथ लेने जा रहा है। शपथ ग्रहण समारोह होशियारपुर जिले में शहीद-ए-आजम भगत सिंह (Bhagat Singh) के पैतृक गांव खट्कड़ कलां (Khatkar Kalan) में होने जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शहीद भगत सिंह का जन्म खट्कड़ कलां में नहीं बल्कि पाकिस्तान (Pakistan) के लायलपुर के बंगा गांव में हुआ था। आइए जानते हैं कैसे खट्कड़ कलां पहुंचा भगत सिंह का परिवार और क्या है इस गांव की कहानी...

खट्कड़ कलां भगत सिंह का पैतृक गांव
शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 में पाकिस्तान के लायलपुर के बंगा गांव में हुआ था। जो आज फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है। भगत सिंह के पिता का नाम किशन सिंह और मां का नाम विद्यावती था। भगत सिंह सात भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थे। कहा जाता है कि एक बार खट्कड़ कलां में प्लेग की बीमारी फैल गई। जिससे लोगों को बचाने के लिए अंग्रेजों ने लयालपुर के बंगा गांव भेज दिया। यही कारण रहा कि भगत सिंह के जन्म से पहले उनका परिवार बंगा गांव में जाकर बस गया था। 

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कैसे पड़ा खट्कड़ कलां नाम

भगत सिंह के पूर्वज महाराजा रंजीत सिंह सिखों के आखिरी राजा थे। कहा जाता है कि भगत सिंह के परदादा फतेह सिंह के पूर्वज अमृतसर के एक गांव में रहा करते थे। एक समय की बात है कि फतेह सिंह अपने परिवार के किसी सदस्य के अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार जा रहे थे, तभी रास्ते में जालंधर में एक जमींदार के घर रुके। जमींदार को फतेह सिंह पसंद आ गए और उन्होंने अपनी बेटी की शादी फतेह सिंह के परिवार में तय कर दी। बेटी की शादी के बाद जमींदार ने ससुराल वालों को काफी जमीन दी। चूंकि यह जमीन दहेज में दी गई थी और दहेज को पंजाब में खट कहा जाता था। इसक कारण से इस गांव का नाम खट्कड़ कलां पड़ गया।

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दादा के साथ आया करते थे भगत सिंह

बुजुर्ग बताते हैं कि खट्कड़ कलां वाले घर का निर्माण फतेह सिंह ने ही करवाया था। ताकि आने-जाने वालों को ठरहने में किसी तरह की परेशानी न हो। बुजुर्ग बताते हैं कि छुट्टियों में भगत सिंह अपने दादा अर्जुन सिंह के साथ खट्कड़ कलां आते थे और कई-कई दिनों तक रुकते थे। आज यहां उनका एक म्यूजियम भी है।

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400 परिवारों का है गांव 
खट्कड़ कलां में इस वक्त 400 परिवारों बसते हैं। ज्यादातर लोग अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप चले गए हैं। लेकिन आज भी लोग यहां भगत सिंह के बारे में जानने और उनके घर को देखने पहुंचते हैं। गांव में सिर्फ बुजुर्ग और बच्चे ही ज्यादा दिखाई देते हैं। भगवंत मान के शपथ लेने से एक बार फिर यह गांव सुर्खियों में आ गया है।

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