पंजाब की चमकौर साहिब विधानसभा (Chamkaur Sahib Assembly) सीट से कांग्रेस के सीएम फेस चरणजीत चन्नी (Charanjit Channi) चुनाव हार चुके हैं। यहां से आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के उम्मीदवार लाभ सिंह उघोके (Labh Singh Ughoke) ने जीत हासिल की है।
पंजाब से मनोज ठाकुर
चमकौर साहिब. पंजाब की चमकौर साहिब विधान सभा सीट से चरणजीत चन्नी को 26294 मत प्राप्त हुए हैं, जबकि आम आदमी पार्टि के उघोके को जनता ने 63514 वोटों जीताकर विधानसभा में पहुंचाया है। उल्लेखनीय है कि चन्नी इस सीट से एक नहीं बल्कि 3 बार विधायक चुने गए और मंत्री कैप्टन सरकार में मंत्री भी रहे। चन्नी ने सोचा भी नहीं था कि इस सीट से कभी उनकी हार भी हो सकती है, लेकिन आज नतीजा सबके सामने है। चरणजीत चन्नी पंजाब राजनीति के दलित चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। उनकी हार ने पंजाब कांग्रेस के सामने कई सवाल पैदा कर दिए हैं।
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चमकौर साहिब. 2017 के विधानसभा चुनाव में किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि अगली बार होने वाले विधानसभा चुनाव में पंजाब कांग्रेस में इतना बदलाव आ जाएगा। पार्टी महाराज ऐरा से बाहर निकल सादगी की राह पर चलेगी। पार्टी के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी इतने डाउन टू अर्थ है कि 111 दिन के कार्यकाल में जो छाप छोड़ी, वह पंजाब की राजनीति में एक मील का पत्थर साबित होगी।
चरणजीत सिंह चन्नी को एक वक्त कांग्रेस ने टिकट के लायक भी नहीं समझा था। पंजाब के पहले दलित सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने आजाद उम्मीदवार के तौर पर पहली बार 2007 में चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। जीत भी गए। 2012 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। लगातार चमकौर साहिब सीट से तीन बार विधायक चुने गए। कैप्टन सरकार में मंत्री रहे। कैप्टन के कांग्रेस छोड़ने के बाद पंजाब के सीएम भी बने। वह बेहद मिलनसार व्यक्ति है। सादगी से रहते हैं।पढ़ने में आज भी जबरदस्त रूचि है। वह दूसरों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
उनके काम करने के तरीके का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष लगातार उनके कामकाज को लेकर उंगली उठाते रहे, लेकिन उन्होंने एक बार भी पलट कर जवाब नहीं दिया। चरणजीत सिंह चन्नी कांग्रेस पार्टी में काफी महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं। वह पार्टी का दलित चेहरा है। जिसके दम पर पार्टी प्रदेश भर में दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ने की योजना भी बना रही है। इस बार के चुनाव प्रचार के दौरान भी वह कभी बुजुर्गों के साथ ताश खेलते नजर आए तो कभी बच्चों के साथ क्रिकेट।
लेकिन ऐसा नहीं है, वह राजनीतिक दांवपेच में माहिर है। तभी तो उन्होंने चमकौर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अकाली दल के वर्चस्व को तोड़ दिया था। तेज तर्रार नवजोत सिंह सिद्धू को भी कई मौकों पर बहुत ही आसानी से मात दी है। वह चाहे सीएम पद पर रहते हुए हो या फिर चुनाव के दौरान जब सीएम फेस की बात चली तो नवजोत सिंह सिद्धू की लाख कोशिश के बाद भी उन्हें ही सीएम चेहरा पार्टी ने बताया।
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