Punjab Politics: सिद्धू का यू-टर्न, प्रदेश अध्यक्ष पद से वापस लिया इस्तीफा, चार्ज संभालने रखी ये शर्त..

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। हालांकि कामकाज संभालने के लिए उन्होंने शर्त रख दी है। उनका कहना है कि नए एडवोकेट जनरल और DGP के बनते ही कांग्रेस दफ्तर जाकर चॉर्ज संभाल लूंगा। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 5, 2021 11:13 AM IST / Updated: Nov 05 2021, 05:01 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब (punjab) कांग्रेस (congress) में जारी घमासान के बीच एक बार फिर नया सियासी मोड़ देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (novjot singh sidhu) ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। हालांकि कामकाज संभालने के लिए उन्होंने शर्त रख दी है। उनका कहना है कि नए एडवोकेट जनरल और DGP के बनते ही कांग्रेस दफ्तर जाकर चॉर्ज संभाल लूंगा। बता दें कि सिद्धू ने सितंबर के अंत में प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था। इस दौरान उन्होंने चन्नी सरकार की नियुक्तियों AG और DG पर सवाल उठाते हुए पद से इस्तीफा दिया था।

सिद्धू ने क्या कहा
चंडीगढ़ (Chandigarh) में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में नवजोत सिंह सिद्धू ने खुद अपना इस्तीफा वापस लेने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मैं अपना इस्तीफा वापस ले रहा हूं। नया एजी और डीजीपी के नए पैनल आने पर मैं पार्टी ऑफ़िस में कामकाज संभाल लूंगा। सिद्धू ने आगे कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (rahul gandhi) के लिए मैं अपना इस्तीफा वापस ले रहा हूं।

इसलिए गई थी अकाली दल सरकार
सिद्धू ने कहा कि दो मुद्दों पर 2017 में अकाली दल की सरकार चली गई थी और आज तक वापस नहीं आई। इन्हीं दो मुद्दों की वजह से ही अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) की कुर्सी भी चली गई। बेअदबी और ड्रग्स दो मुद्दे आज भी खड़े हैं। गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और ड्रग्स के मामलों को सुलझाने के लिए डीजीपी और एडवोकेट जनरल की नियुक्ति काफी अहम है। सिद्धू ने सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Chann) की ओर से नियुक्त अंतरिम डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता पर गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद प्रदर्शनकारियों पर हुई फायरिंग के मामलों के संलिप्त होने के आरोप लगाए।

28 सितंबर को दिया था इस्तीफा
नवजोत सिंह सिद्धू ने 28 सितंबर को कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा था कि वो पार्टी की सेवा करना जारी रखेंगे। किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौते से शुरू होती है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं।

क्यों वापस लिया इस्तीफा 
पंजाब में चन्नी सरकार के बने एक ही हफ्ते हुआ था कि सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया था। उनके इस कदम से पार्टी की पंजाब यूनिट से लेकर दिल्ली हाईकमान तक असहज हो गया था। शुरू में सिद्धू को मनाने की कोशिश भी की गई, लेकिन बाद में जब सिद्धू अड़े रहे तो हाईकमान ने भी चुप्पी साध ली। जब सिद्धू को लगा कि अब पार्टी उन्हें नहीं मनाएगी तो उन्होंने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी। दो दिन पहले तक जो सिद्धू चन्नी सरकार पर हमलावर थे वो अगले ही दिन सीएम चन्नी के साथ केदारनाथ में नजर आए। कहा यह भी जा रहा है कि अगर सिद्धू इस्तीफा वापस नहीं लेते तो चुनाव को देखते हुए हाईकमान पंजाब में नए पीसीसी चीफ के विकल्प की तलाश में जुट गया था। ऐसे में सिद्धू ने तल्काल इस्तीफा वापस लेने की घोषणा कर दी है। 

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