पंजाब में बाबा साहब के अपमान से दलितों में गुस्सा, कहा- भगवंत मान के खिलाफ एक्शन नहीं हुआ तो चलाएंगे अभियान

जगदीश जस्सल ने Asianet News Hindi से बातचीत की। उन्होंने बताया कि यह बाबा साहब की बेअदबी है। हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। भगवंत मान ने नकोदर में मंगलवार को चुनाव-प्रचार के दौरान अपने गले में पहनी मालाएं उतारीं और बाबा बीआर अंबेडकर के गले में डाल दीं।

मनोज ठाकुर, जालंधर। 26 जनवरी को जब पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा है, तब पंजाब के दलित संगठन डॉ. भीमराव अंबेडकर की बेअदबी के आरोप में AAP के CM Face भगवंत मान पर एफआइआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाबा साहब ने जो संविधान लिखा, आज ही के दिन वह लागू हुआ था। आज पूरा देश गणतंत्र दिवस तो मना रहा है, लेकिन बाबा साहब को आज भी आम आदमी पार्टी दूसरे दर्ज का नागरिक मानती है। क्योंकि वह दलित थे। यही वजह है कि भगवंत मान ने खुद पहनी हुईं फूल-मालाएं उतारी और बाबा साहब के गले में डाल दीं। यह कहना है पंजाब लोक कांग्रेस के नेता जगदीश जस्सल का। 

जगदीश जस्सल ने Asianet News Hindi से बातचीत की। उन्होंने बताया कि यह बाबा साहब की बेअदबी है। हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। भगवंत मान ने नकोदर में मंगलवार को चुनाव-प्रचार के दौरान अपने गले में पहनी मालाएं उतारीं और बाबा बीआर अंबेडकर के गले में डाल दीं। ये डॉ. अंबेडकर की बेअदबी की गई है। चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की कि मान के खिलाफ केस दर्ज किया जाए। चुनाव के बीच उठे इस विवाद को विपक्ष ने भी मुद्​दा बना लिया है। 

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बाबा साहब की बेअदबी बर्दाश्त नहीं करेंगे
जगदीश जस्सल ने चुनाव आयोग से शिकायत की है। उन्होंने एक वीडियो भी चुनाव आयोग को भेजा है। जिसमें देखा जा रहा है कि मान अपने गले से मालाएं निकालते और फिर बाबा साहब के गले में डाल देते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी हालत में बाबा साहब की बेअदबी बर्दाश्त नहीं होगी। हम आज दिनभर इंतजार करेंगे। यदि मान के खिलाफ चुनाव आयोग ने कार्रवाई नहीं की तो कल हम बैठक कर निर्णय लेंगे कि आगे करना क्या है? 

कार्रवाई नहीं हुई तो अभियान चलाएंगे
दूसरी ओर मान के माला पहनाने का वीडियो पंजाब में जमकर शेयर किया जा रहा है। खासतौर पर पंजाब के दलित समुदाय ने इसकी कड़ी आलोचना की है। बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बलविंद्र सिंह गढ़ी ने कहा कि यदि जल्दी ही मान के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती तो पंजाब में उनके खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। 

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दलितों को दोयम दर्जे का समझा जा रहा
पंजाब के दलित मुद्​दों को मुखरता से उठाने वाले सतेंद्र मानक ने कहा कि दिक्कत यह तो है कि मान ने बाबा साहब का अपमान किया। दिक्कत यह भी है कि हम बुधवार से चिल्ला रहे हैं, लेकिन कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है। वह भी तब जब पंजाब में चुनाव है। हर पार्टी दलितों के वोट के लिए हरसंभव कोशिश करती है, लेकिन जब दलित मुद्​दों या इंसाफ की बात आए तो चुप हो जाते हैं। इससे पता चलता है कि किस तरह से समाज में दलितों को आज भी दूसरे दर्जे पर रखकर देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी तक पंजाब के मुख्य सियासी दलों की ओर से इस मामले पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं की गई है। जबकि गुरुद्वारों में बेअदबी और पटियाला में काली माता के मंदिर में हुई बेअदबी पर प्रत्येक पार्टी ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह दलितों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार है। कम से कम आज के दिन तो उनकी बात को सुना ही जाना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। 

बिखरे हुए हैं दलित
पंजाब में 2011 के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 32 फीसदी दलित हैं, जो अब 34.6 प्रतिशत के आसपास हैं। कह सकते हैं कि भारत के किस भी राज्य से सबसे ज्यादा दलित प्रतिशत पंजाब में हैं। पंजाब में सियासत में भी उनकी अच्छी खासी भूमिका रहती है। इसके बाद भी दलितों के मुद्​दों को लेकर पंजाब में ज्यादा गंभीरता नजर नहीं आती। पंजाब मॉस कम्यूनिकेशन के प्रोफेसर सुखवंत सिंह ने बताया कि दिक्कत यह है कि दलित भी अपनी बात को लेकर मुखर नहीं है। वह बिखरे हुए हैं। उनका कोई ऐसा नेता नहीं है, जो उन्हें एकजुट कर सके। 

राजनीतिक दल नहीं देते ध्यान
दलित कहीं डेरो के तौर पर तो कहीं राजनीतिक विचारधारा के तौर पर बंटे हुए हैं। इसलिए बसपा को छोड़ कर ज्यादातर पार्टियां उनके मुद्​दों की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देती। स्थिति यह है कि जैसे ही दलित अपने किसी मुद्​दे को लेकर मुखर होते हैं तो समाज का अपर कास्ट तबका एकजुट हो जाता है। तब वह दलितों के विरोध को अपने पूरे समाज का विरोध करार देते हैं। इस तरह की स्थिति बन जाती कि दलित तो बंटे रहते हैं, लेकिन तमाम वैचारिक मतभेद के बावजूद भी अपर कास्ट के लोग एकजुट हो जाते हैं। यह भी एक वजह है कि पंजाब में दलित मुद्​दे ज्यादा उठ नहीं पाते। 

सीएम चन्नी भी इस मसले पर अब तक चुप
उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब का सीएम भले ही दलित हो, लेकिन बाबा साहब के अपमान पर वह चुप है? इससे पता चलता है कि किस तरह से एक दलित जब पावरफुल होता है तो किस तरह से दलित स्वर्ण जैसा व्यवहार करता है। होना तो यह चाहिए था कि उन्हें आगे बढ़कर मामले में सख्त नोटिस लेना चाहिए था। लेकिन अभी तक उन्होंने एक बयान भी नहीं दिया है।

उधर केजरीवाल पहल करते, इधर मान अपमान कर रहे
सुखवंत सिंह मान ने बताया कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने 25 जनवरी को आयोजित कार्यक्रम में बोला कि अब सरकारी दफ्तरों में नेताओं की फोटो की जगह शहीद भगत सिंह और बाबा साहब की फोटो लगेगी। पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रभारी और सीएम पद के उम्मीदवार बाबा की प्रतिमा को प्रयोग की गई माला पहना रहे हैं। क्या आम आम आदमी पार्टी की दिल्ली और पंजाब इकाई में कोई तालमेल नहीं है? 

कार्रवाई हुई तो बड़ा असर पड़ सकता है
क्या आम आदमी पार्टी का इससे नुकसान हो सकता है, इस सवाल पर सुखवंत सिंह का मानना है थोड़ा बहुत, क्योंकि जैसे-जैसे मतदान नजदीक आएगा, यह सब मुद्​दे गौण हो जाते हैं। हां, यदि इस मामले में कोई बड़ा राजनीतिक दल कूद जाए तो निश्चित ही असर पड़ सकता है। यह डिजिटल दौर है, हर हाथ में मोबाइल है। सोशल प्लेटफॉर्म से बात जल्दी फैलती है। लेकिन सवाल यह है कि इस दिशा में काम कौन करेगा? इसलिए शायद ही इसका कोई बड़ा असर आम आदमी पार्टी को पड़े। हां, इतना जरूर है कि यदि चुनाव आयोग या पुलिस मान के खिलाफ कार्रवाई कर देते हैं तो निश्चित ही तब थोड़ा बहुत असर पड़ सकता है।

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