
चंडीगढ़। भारत में विश्व का सबसे उम्दा किस्म बासमती चावल का पैदा किया जाता है। भारतीय बासमती चावल की विरासत को बचाने के लिए पंजाब सरकार ने ऐसे दस कीटनाशक दवाओं के इस्तेमाल पर बैन कर दिया है जो इसको नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे रसायनों के प्रयोग से बासमती चावल का एक्सपोर्ट भी प्रभावित हो रहा है। विदेशों में खतरनाक इंसेक्टीसाइड्स वाले बासमती की मांग बेहद कम है।
इन दस इंसेक्टीसाइड्स पर प्रतिबंध
पंजाब सरकार ने बासमती फसल के लिए 10 कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह सुगंधित चावल के निर्यात में कृषि-रसायन बाधा बन रहे थे। कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने कीटनाशकों की बिक्री, स्टॉक और वितरण को रोकने के निर्देश जारी किए हैं। प्रतिबंधित कीटनाशकों में एसेफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरोपायरीफॉस, मेथैमिडोफोस, प्रोपिकोनाजोल, थियामेथोक्सम, प्रोफेनोफोस, आइसोप्रोथियोलेन, कार्बेन्डाजिम, ट्राईसाइक्लाजोल शामिल है।
क्यों किया प्रतिबंधित?
मंत्री ने कहा कि ये कीटनाशक चावल, विशेष रूप से बासमती चावल के निर्यात और खपत में संभावित बाधा बन रहे थे। धालीवाल ने कहा कि कीटनाशकों को पंजाब में साठ दिनों की अवधि के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है ताकि बिना किसी अवशिष्ट प्रभाव वाले अच्छी गुणवत्ता वाले बासमती चावल का उत्पादन किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि इन कीटनाशकों का इस्तेमाल बासमती चावल उत्पादकों के हित में नहीं है। मंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार, इन कृषि-रसायनों के उपयोग के कारण बासमती चावल में सक्षम अधिकारियों द्वारा निर्धारित अधिकतम अवशिष्ट स्तर (एमआरएल) से अधिक कीटनाशक अवशेषों का जोखिम है।
धालीवाल ने यह भी खुलासा किया कि पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने यह भी बताया है कि उनके द्वारा परीक्षण किए गए कई नमूनों में बासमती चावल में एमआरएल मूल्यों से बहुत अधिक अवशेष मूल्य है। एसोसिएशन ने पंजाब की विरासत बासमती उपज को बचाने के लिए इन कृषि रसायनों पर प्रतिबंध लगाने और अन्य देशों को बासमती चावल के परेशानी मुक्त निर्यात को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। मंत्री ने कहा कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) लुधियाना ने वैकल्पिक कृषि रसायनों की सिफारिश की है जो अवशेष प्रभाव में कम हैं।
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